(प्रदीप कुमार )- प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया। सुबह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, संसद परिसर में आए और लोक सभा अध्यक्ष, बिरला के साथ महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की । इसके बाद प्रधान मंत्री मोदी और लोक सभा अध्यक्ष श्री बिरला नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर रखे गए हवन में शामिल हुए । इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन के लोक सभा कक्ष में निष्पक्ष और न्यायसंगत शासन के पवित्र प्रतीक, सेंगोल की स्थापना की। प्रधान मंत्री मोदी ने नए संसद भवन के निर्माण में योगदान के लिए ग्यारह श्रमजीवी को सम्मानित भी किया।सर्व धर्म प्रार्थना सभा के साथ कार्यक्रम का पहला चरण संपन्न हुआ जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, लोक सभा अध्यक्ष बिरला और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए ।लोक सभा कक्ष में उद्घाटन कार्यक्रम दूसरा चरण दोपहर लगभग 12 बजे लोक सभा कक्ष में राष्ट्रगान के साथ शुरू हुआ। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि हर देश के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो अमर होते हैं। कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। प्रधान मंत्री ने कहा कि 28 मई, 2023 ऐसा ही दिन है। उन्होंने यह भी कहा, “भारत के लोगों ने अमृत महोत्सव के लिए खुद को उपहार दिया है।” प्रधान मंत्री ने इस गौरवशाली अवसर पर सभी को बधाई दी।उद्घाटन समारोह दो चरणों में आयोजित हुआ ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल एक भवन नहीं है बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा, “यह हमारे लोकतंत्र का मंदिर है जो दुनिया को भारत के संकल्प का संदेश देता है।” उन्होंने आगे कहा, “यह नया संसद भवन योजना को वास्तविकता से, नीति को उसकी पूर्ति से, इच्छाशक्ति को क्रियान्वयन से और संकल्प को सिद्धि से जोड़ता है।” यह स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा। यह आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा और एक विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति का साक्षी बनेगा । प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नया भवन प्राचीन और आधुनिक के सह-अस्तित्व का उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत न केवल एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है।” उन्होंने कहा कि हमारा देश वैश्विक लोकतंत्र का प्रमुख आधार है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र भारत में प्रचलित केवल एक प्रणाली नहीं बल्कि एक संस्कृति, विचार और परंपरा है। वेदों का उल्लेख करते हुए, प्रधान मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन्हीं से हमें लोकतांत्रिक सभाओं और समितियों के सिद्धांतों की शिक्षा मिलती है ।
पीएम मोदी ने कहा कि “हमारा लोकतंत्र हमारी प्रेरणा है और हमारा संविधान हमारा संकल्प और भारत की संसद इस संकल्प का प्रतिनिधित्व करती है। एक श्लोक का उच्चारण करते हुए, प्रधानमंत्री ने समझाया कि जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है और जो चलता रहता है, उसका भाग्य भी चलता रहता है ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नया संसद भवन देश के विश्वास को मजबूत करेगा और सभी को एक विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा । उन्होंने यह भी कहा “हमें नेशन फर्स्ट की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा। हमें कर्तव्य को सर्वोपरि रखना होगा। हमें अपने आचरण में निरन्तर सुधार करते हुए एक उदाहरण बनना होगा। हमें नया रास्ता बनाना होगा। ” प्रधान मंत्री ने कहा कि नई संसद से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को नई ऊर्जा और ताकत मिलेगी । उन्होंने कहा कि हमारे श्रमजीवीयों ने संसद को इतना भव्य बना दिया है, परंतु अपने समर्पण भाव से इसे दिव्य बनाने की जिम्मेदारी सांसदों की है।
संसद के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यहां लिया गया हर फैसला आने वाली सदियों और आने वाली पीढ़ियों को मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। इस अवसर पर बोलते हुए, ओम बिरला ने उद्घाटन समारोह में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर की शोभा बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और उनके प्रयासों और प्रेरक मार्गदर्शन की सराहना की, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि नया संसद भवन ढाई साल से भी कम समय में पूरा हो गया। ओम बिरला ने उन श्रमजीवीयों को भी साधुवाद दिया जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इस विशाल कार्य को पूरा किया । ओम बिरला ने विशेष रूप से उन श्रमजीवीयों की सराहना की जिन्होंने कोविड महामारी के कठिन समय में भी अपने कर्तव्य के प्रति अद्भुत समर्पण दर्शाया ।
ओम बिरला ने भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि अमृत काल मंन भारत की प्रतिष्ठा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। बिरला ने कहा कि आज पूरी दुनिया लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रसार के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। बिरला ने आगे कहा कि भारत की संसद लोकतांत्रिक व्यवस्था का सर्वोच्च श्रद्धा केंद्र है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में लोगों की बढ़ती भागीदारी इस सच्चाई को रेखांकित करती है।भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र न केवल हमारे इतिहास की एक बहुमूल्य धरोहर है बल्कि हमारे वर्तमान की ताकत और हमारे सुनहरे भविष्य का आधार है। बिरला ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारी संसद घरेलू और वैश्विक चुनौतियों को अवसर में बदलने का सामर्थ्य रखती है।
यह टिप्पणी करते हुए कि भारत की संसद हमारे प्राचीन राष्ट्र की गौरवपूर्ण लोकतांत्रिक विरासत की संरक्षक है, श्री बिरला ने कहा कि वर्तमान संसद भवन आजादी से लेकर संविधान निर्माण और अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए अपनी इस अनमोल धरोहर को संभाल कर रखना सभी सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी है। प्रधान मंत्री द्वारा ‘सेंगोल’ की स्थापना का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि हमारे इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर ‘सेंगोल’ को अध्यक्षपीठ के पास स्थापित कर प्रधान मंत्री ने ऐतिहासिक परंपराओं के सम्मान और न्यायसंगत एवं निष्पक्ष शासन के अपने संकल्प को दोहराया है।
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नए संसद भवन की वास्तुकला की सराहना करते हुए, बिरला ने कहा कि नया भवन भारत की समृद्ध संस्कृति, प्राचीन विरासत और आधुनिक आकांक्षाओं का एक अद्भुत संगम है। इसमें पूरे भारत की उत्कृष्ट और विविध सांस्कृतिक विरासत के दर्शन होते है। इस भवन में प्रत्येक भारतीय को अपने राज्य की संस्कृति की झलक दिखाई देगी । बिरला ने आगे कहा कि नए भवन में सदस्य नई तकनीकों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अपनी कार्यकुशलता में वृद्धि कर सकेंगे। ओम बिरला ने आग्रह किया कि नए संसद भवन में सांसद संसदीय अनुशासन, मर्यादा और गरिमा के नए मानदंड स्थापित करें और दुनिया की लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए आदर्श बनें । सदन के हर सदस्य को समाज के अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाकर देश को आगे ले जाना चाहिए। अपने स्वागत भाषण के दौरान राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि हमारा वर्तमान संसद भवन देश की लोकतांत्रिक गतिविधियों का जीवंत केंद्र रहा है और यह हमारी प्रगति की मार्गदर्शक रहा है। यह भवन भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति और संविधान निर्माण से लेकर हमारी गौरवशाली लोकतांत्रिक यात्रा के दौरान घटित कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। परंतु , बदलते समय के साथ माननीय सदस्यों को अपने संसदीय कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिए आधुनिक सुविधाओं और नई तकनीक से युक्त एक नए संसद भवन की आवश्यकता महसूस हो रही थी।श्री हरिवंश ने यह भी कहा कि संसद भवन केवल ईंट-गारे की संरचना मात्र नहीं है; बल्कि देश की सर्वोच्च चुनी हुई संस्था के रूप में यह भवन देश के नागरिकों की आशाओं, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम है।पूर्व राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, पूर्व प्रधान मंत्री, मुख्य मंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, राज्य सभा के उपसभापति, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, संसद सदस्य, लोक सभा के पूर्व अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्य के पूर्व उपसभापति, भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं, राजनयिकों और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस अवसर की शोभा बढ़ाई। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया ।
-प्रदीप कुमार