President Macron visit to India- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा से कुछ दिन पहले माना जा रहा है कि 26 रफाल-एम लड़ाकू विमानों और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की प्रस्तावित खरीद पर फ्रांस के साथ भारत की बातचीत “सकारात्मक” आगे बढ़ रही है।मैक्रों 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट होंगे।सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति अपनी दो दिन की भारत यात्रा के दौरान किसी और शहर में भी आधिकारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले हैं।पता चला है कि मैक्रों जयपुर में कुछ कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इसे लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सूत्रों ने बताया कि मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच डिजिटल क्षेत्र, रक्षा, व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा, युवाओं के बीच आदान-प्रदान, छात्रों के लिए वीजा नियमों में ढील जैसे कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर मुख्य रूप से चर्चा होगी।सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वे लाल सागर में हालात पर भी चर्चा कर सकते हैं।
एक सूत्र ने बताया कि राफेल-एम जेट और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों पर चर्चा सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि ये सौदे कब पूरे हो जाएंगे क्योंकि ये कमर्शियल कॉन्ट्रैक्ट हैं।पिछले साल जुलाई में, रक्षा मंत्रालय ने मुख्य रूप से देश में बने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए फ्रांस से 22 राफेल (समुद्री) जेट विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी।मंत्रालय ने फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को भी मंजूरी दे दी थी।
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भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 के तहत, फ्रांस के नौसेना ग्रुप के सहयोग से मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) की तरफ से भारत में छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों को पहले ही बनाया जा चुका है।अक्टूबर में, भारत ने औपचारिक रूप से फ्रांस को भारतीय नौसेना के लिए राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसेना एडीशन खरीदने के अपने फैसले के बारे में जानकारी दी थी और इंटरगवर्नमेंटल फ्रेमवर्क के तहत खरीद प्रक्रिया शुरू की।
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और रणनैतिक संबंध पिछले कुछ साल में गहरे हुए हैं।दोनों रणनैतिक साझेदारों ने तीसरे देशों के फायदे के लिए एडवांस्ड डिफेंस टेक्नोलॉजी को मिलकर डेवलप करने और मिलकर बनाने में सहयोग करने की भी प्रतिबद्धता जताई।दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र सहित समुद्री क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा रहे हैं।