प्रदीप कुमार – जैन समाज के विश्व विख्यात प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित होने का पूरे देश में विरोध हो रहा है। सम्मेद शिखर की पवित्रता बनाए रखने की मांग को लेकर देशभर में प्रदर्शन का सिलसिला जारी है। इस विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने आज बड़ा बयान दिया है केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस विवाद पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार जैन धर्म की पवित्रता पर आंच नहीं आने देगी।
जैन समुदाय तीर्थ विवाद पर केन्द्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि जैन समाज का कोई सेंटिमेंट हर्ट न हो इसकी जिम्मेदारी पूरी भारत सरकार की है।इसमें पर्यटन मंत्रालय का कोई आदेश नहीं है संसद में भी बताया गया है और बाहर भी बताया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं जैन समाज से अनुरोध करता हूं केन्द्र सरकार की ओर से उस तीर्थ स्थान को बचाने का पूरा प्रयास करेंगे।जैन समाज का कोई सेंटिमेंट हर्ट न हो इसकी जिम्मेदारी पूरी भारत सरकार की है।
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जैन तीर्थ स्थल विवाद पर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि केंद्र सरकार लगातार जैन समुदाय के अलग-अलग नुमाइंदों के साथ मीटिंग कर रही है।इन नुमाइंदों में देश और विदेश दोनों जगह से जैन समुदाय के लोग हैं।केंद्र सरकार ने खुद झारखंड सरकार से भी इस मामले में संपर्क साधा है और संवाद प्रक्रिया शुरू कर दी है।
केंद्र सरकार ने कहा कि हर स्तर पर केंद्र सरकार जैन समाज के लोगों को यह विश्वास दिलाना चाहती है कि वह उनके साथ है और शांति प्रयास की पक्षधर है। इससे पहले जैन तीर्थ विवाद को लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने भी आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई आरोप लगाए इन नेताओं ने पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के नोटिफिकेशन का हवाला देकर बीजेपी को घेरा है।
दरअसल पूरे विवाद की शुरुआत उस फैसले से जुड़ी है जिसमें जैन समुदाय के इस पवित्र धार्मिक स्थल को झारखंड सरकार फरवरी 2019 में पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। इसके साथ ही देवघर में बैजनाथ धाम और दुमका को बासुकीनाथ धाम को भी इस सूची में शामिल किया गया। उसी साल अगस्त में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में “पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता” है।
अब सरकार के इसी फैसले का विरोध हो रहा है। जैन समुदाय से जुड़े लोगों का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-मदिरा का सेवन करेंगे। इसके चलते इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता खंडित होगी ,इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।