(अवैस उस्मानी): हाथरस मामले में UAPA के तहत आरोपी केरला के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका का उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हल्फनामा दाखिल किया है। यूपी सरकार ने कहा सिद्दीकी कप्पन CAA – NRC और बाबरी फैसले को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का बड़ा हिस्सा है। सिद्दीक कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है। यूपी सरकार ने कहा कि सिद्दीक कप्पन का चरमपंथी संगठन PFI से करीबी सम्बंध है। यूपी सरकार ने कहा कि PFI राष्ट्रीय विरोधी एजेंडे के तहत काम करती है। यूपी सरकार ने कहा कि 45 हज़ार की रिकवरी के सोर्स के बारे में नहीं बता सकते है। यूपी सरकार ने कहा जांच में यह भी सामने आया कि CFI के नेशनल सेक्रेटरी राउफ शरीफ ने इस यात्रा के लिए वित्तीय सहायता दी थी।
यूपी सरकार ने हलफनामे में कहा जांच में समाने आया की कप्पन पत्रकार के रूप में इस लिए जा रहा था ताकि वह अंडर कवर रहे। यूपी सरकार ने कहा कप्पन इस मामले में सहआरोपी CFI के राउफ शरीफ के साथ एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसके तहत धर्मिक कलह फैलाने और देश में आतंक फैलाने का प्रयास किया गया। यूपी सरकार ने कहा कि जांच में यह बात सामने आई कि कप्पन PFI /CFI के उज़ डेलिगेशन का सदस्य था जो हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहा था, और आतंक फैलाने का मकसद था।
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सिद्दीक कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत के बाद वहां जाते समय रास्ते में गिरफ्तार कर लिया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस माह की शुरुआत में कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कप्पन के खिलाफ हाथरस मामले में गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित तौर पर संबंध रखने वाले चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पीएफआई पर नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ देश भर में हुए प्रदर्शनों को धन देने के आरोप हैं। पुलिस ने पूर्व में दावा किया था कि आरोपी हाथरस में कानून व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे। कुछ दिनों पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कप्पन के साथ गिरफ्तार आलम उर्फ मोहम्मद आलम सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।