नई दिल्ली (विनय सिंह की रिपोर्ट)– सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सरकारी डॉक्टर को पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में प्रवेश के लिए आरक्षण की मंजूरी दे दी है। हालांकि इसके लिए उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में काम करना होगा। कोर्ट ने राज्य सरकारों को सरकारी डॉक्टरों के लिए NEET पीजी मेडिकल सीटों में आरक्षण देने की इजाजत दी है।
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने राज्यों को NEET पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री पाठ्यक्रमों में इन-सर्विस डॉक्टरों को सीटों के आरक्षण का लाभ देने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट मे हुई एक अहम सुनवाई में 5 जजों की की पीठ ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए इन-सर्विस डॉक्टरों को आरक्षण देने या ना देने की कोई शक्ति नहीं है।
साइन करना होगा डॉक्टरों को 5 साल का ये बॉन्ड !
साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि डॉक्टर को ग्रामीण दूरदराज के इलाके और आदिवासी क्षेत्रों के पोस्टिंग में 5 साल की सेवा के लिए बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराना चाहिए। कोर्ट ने पीजी डिग्री पूरी करने के बाद देवा डॉक्टरों द्वारा ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में सेवा के लिए योजना तैयार करने को कहा है।
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सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ को यह तय करना था कि क्या राज्य में मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए दूरस्थ या पहाड़ी क्षेत्रों में कार्यरत सरकारी डॉक्टरों के लिए 10 से 30 फ़ीसदी प्रोत्साहन अंक प्रदान किए जा सकते हैं या नहीं। 3 जजों की बेंच ने तमिलनाडु मेडिकल डॉक्टर एसोसिएशन और अन्य लोगों द्वारा दाखिल याचिकाओं के लिए बड़ी बेंच के फैसले के लिए भेज दिया था।
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