अमन पांडेय : अभी कुछ दिन पहले बिहार के शिक्षा मंत्री ने श्रीरामचरितमानस के कुछ अंशों का संदर्भ रखते हुए विवादित बयान दिया था इस पर पूरे देश में हंगामा मचा है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक इंटरव्यू के दौरान रामचरितमानस के ऊपर विवादित टिप्पणी की और रामचरितमानस को बैन करने की मांग रख दी। यहां तक उनहोंने कहा यह तुलसी दास जी ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को रामचरित्र मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस देश का दुर्भाग्य है कि धर्म के ठेकेदार ही धर्म को बेच रहे हैं। तमाम समाज सुधारकों की कोशिश से देश आज तरक्की के रास्ते पर है, लेकिन ऐसी सोच वाले बाबा समाज में रूढ़िवादी परम्पराओं और अंधविश्वास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री ढोंग फैला रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे लोगों को जेल में डाल देना चाहिए जो भारत के संविधान की भावनाओं को आहत करते हों।
उन्होंने कहा कि जब सभी बीमारियों की दवा बाबा के पास है, तो सरकार बेकार में मेडिकल कॉलेज, अस्पताल चला रही है। सभी लोग जाकर बाबा के यहां दवा ले लें। तुलसीदास ने जब रामचरितमानस लिखी। तब महिला और दलितों को पढ़ने-लिखने का अधिकार नहीं था। इन्हें पढ़ने का अधिकार अंग्रेजों ने दिया था। मौर्य ने कहा- हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन कोई भी धर्म किसी भी जाति या वर्ग विशेष के लोगों को अपमानित नहीं करता है।
लेकिन रामचरितमानस में एक चौपाई का अंश है, जिसमें कहा गया है- जे बरनाधम तेलि कुम्हारा। स्वपच किरात कोल कलवारा। इसमें जिन जातियों का जिक्र है। ये सभी हिंदू धर्म को मानने वाली हैं। इसमें सभी जातियों को नीच और अधम कहा गया है। धर्म इंसान को जातियों में नहीं बांटता है।
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साधु-संतों ने दी तीखी प्रतिक्रिया
साधु-संतों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। प्रयागराज में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य व बिहार के शिक्षा मंत्री सहित अन्य लोगों द्वारा मानस पर दिए गए विवादित बयान की कड़ी निंदा की। कहा कि गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस व प्रभु श्रीराम पर विवादित टिप्पणी चर्च प्रायोजित वामपंथ के टूलकिट का हिस्सा है। इसके जरिए देश को अस्थिर करने की साजिश रची जा रही है। हिंदुओं के आराध्य व धर्मग्रंथों को अपशब्द कहकर हिंदुओं की भावना भड़काई जा रही है। ताकि इससे आहत होकर हिंदू प्रदर्शन करें तो उनकी गलत छवि विश्व में पेश की जाए।