प्रदीप कुमार – भारतीयता का सच्चा अर्थ अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अंतर्बोध का होना है। आज का युवा पहचान की समस्या से ग्रस्त होता जा रहा है, उसे इस नकारात्मक दृष्टिकोण से निकलना है। उन्हें अपनी ऊर्जा स्वयं के चारित्रिक विकास पर लगानी होगी। आत्मविकास और आत्मसंधान से ही स्व का रास्ता होकर जाता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के खेल परिसर के बहुउद्देशीय हॉल में युवा (यूथ यूनाइटेड फॉर विजन एंड एक्शन) संगठन द्वारा आयोजित बौद्धिक विमर्श में द्वारका इस्कॉन के उपाध्यक्ष प्रभु अमोघ लीला ने ये बातें कहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को मिली स्वाधीनता भी व्यक्ति की अंतःप्रेरणा का ही परिणाम है। आज आवश्यकता है कि भारत का युवा अपने सांस्कृतिक गौरव को सहेजे और उसे एक नई और सार्थक दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करे। वह इस बार के बौद्धिक विमर्श की थीम “स्वाधीनता स्वतंत्रता स्वराज : यात्रा भारत के स्व की” पर बोल रहे थे।
कार्यक्रम की इसी कड़ी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित सत्र में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि इस शिक्षा नीति में भारतीय कला, संस्कृति और भारतीय भाषाओं को महत्ता दी गई है। इस नीति ने पाठ्यक्रमों की जड़ता को मुक्त किया। यह विद्यार्थी को अपने सुविधा और रुचि के अनुसार विषयों को चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करती है। यह नीति शिक्षा के मुख्य और आधारभूत लक्ष्य चरित्र और कौशल निर्माण को पूरा करने की क्षमता रखती है।नई शिक्षा नीति अंग्रेजी भाषा को दरकिनार नहीं करती बल्कि अपनी मातृभाषा को शिक्षा के मुख्य केंद्र में लाने का प्रयास करती है। इस नीति ने नवोत्थान के मार्ग को प्रशस्त किया है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए शैक्षिक जगत के दृढ़ संकल्प होने की बात कही।
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पुलिस सुधारों पर आधारित सत्र में झारखंड के पूर्व डीजीपी और रिटायर्ड आईपीएस निर्मल कौर ने आंतरिक सुरक्षा के समक्ष मौजूद चुनौतियों के प्रति आगाह किया और तकनीकी के उचित प्रयोग के साथ उन्हें इन चुनौतियों से निपटने का रास्ता भी बताया ।
भारतीय इतिहास पर आधारित सत्र में सुभाषचंद्र बोस पर आधारित पुस्तक ‘बोस: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अन कनवीनिएंट नेश्नलिस्ट के लेखक चंद्रचूड़ घोष और प्रोफेसर कपिल कुमार ने अपने विचार व्यक्त किए। इसके अलावा विज्ञान और तकनीकी विषयों पर प्रोफेसर मिलाप पूनिया ने अपने विचार व्यक्त रखे।
सोशल मीडिया के चर्चित चेहरों में से एक अंशुल सक्सेना ने भी अपने विचार रखे । उन्होंने लोगों को धरातल पर कार्य करने के पश्चात् उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर जोर दिया ताकि लोग उससे प्रेरित हो सकें। साथ ही सोशल मीडिया में दिखावे की संस्कृति से भी बचने की अपील की।
इसी प्रकार कार्यक्रम के प्रथम दिन समानांतर रूप से कुल आठ सत्र चले। कार्यक्रम में दिल्ली विश्विद्यालय के डीन ऑफ़ कॉलेज डॉ. बलराम पाणी, युवा दिल्ली के संयोजक रजनीश जिंदल और विमर्श के सह संयोजक आकाश सिंह उपस्थित रहे।
विदित हो कि युवा संगठन, छात्रों को दिल्ली स्थित शैक्षणिक संस्थानों में अकादमिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और खेल गतिविधियों को आयोजित करने और उनमें सहभागिता लेने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस आयोजन में प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव और विशाल ज्ञान को साझा करने के लिए विविध क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियां एकत्रित होंगी। कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक जे. नंद कुमार , भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा जी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के तीसरे यानी अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयं संघ के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार , दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह जी के अलावा कुछ अन्य प्रसिद्ध हस्तियां उपस्थित रहेंगी।