प्रदीप कुमार – पूर्वोंत्तर के 3 राज्यों त्रिपुरा,नागालैंड और मेघालय में विधानसभा चुनाव के नतीजे अब लगभग साफ हो चुके हैं। त्रिपुरा में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने जा रही है वहीं नागालैंड में बीजेपी और उसकी गठबंधन सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी आसान बहुमत से सरकार बनाती दिख रही है। इसके अलावा मेघालय में सीएम कोनराड संगमा की एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
त्रिपुरा में बीजेपी अपने दम पर और नागालैंड में अपनी सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ सत्ता बरकरार रखने के लिए तैयार दिख रही है।वही त्रिपुरा में कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन नाकामयाब रहा है, जबकि पहली बार चुनाव लड़ रही टिपरा मोथा पार्टी ने जनजातीय इलाकों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए सीटें जीती हैं।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि बीजेपी जिस तरह से उत्तर पूर्व में जीत प्राप्त कर रहे हैं उसका एक कारण है कि मोदी जी ने जितना काम किया है वो लोगों तक पहुंच रहा है।हम चुनाव जीत रहे हैं तो इसका मतलब है कि हम लोगों का विश्वास प्राप्त कर रहे हैं।
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वही नतीजों को लेकर त्रिपुरा के सीएम माणिक साहा ने कहा कि बीजेपी की विशाल जीत हुई है, मैं इसके लिए त्रिपुरावासियों को शुभकामनाएं देता हूं। आज शांतिपूर्ण तरीके से मतगणना संपन्न हुई। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमने चुनाव की रणनीति तैयारी की और आज हमें जीत हासिल हुई है, इसके लिए मैं PM को भी धन्यवाद करता हूं।
नागालैंड में निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार बीजेपी और उसकी अलायंस पार्टनर नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी फिर से सरकार बना रहे हैं।
नगालैंड में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी को दो सीटों पर जीत हासिल हुई है। अठावले ने कहा कि, मेरी पार्टी के दो उम्मीदवार जीत कर आए हैं। अगर और भी लोग जीतकर आते हैं तो मेरी पार्टी वहां NDA का समर्थन करेगी और रिपब्लिकन पार्टी सत्ता में भागीदारी भी मांगेगी।
मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।पार्टी समर्थकों ने मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का स्वागत किया और जश्न मनाया है।
तीन राज्यों में त्रिपुरा ऐसा राज्य है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर सबकी निगाहे थीं, क्योंकि वैचारिक रूप से यहां जीत दर्ज करना बीजेपी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा था।यहा बीजेपी का प्रदर्शन महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि क्योंकि पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को चुनौती देने के लिए पहली बार हाथ मिलाया था।राष्ट्रीय दलों के बीच इस लड़ाई में प्रद्योत देबबर्मा के नेतृत्व वाला तिपरा मोथा रहा जो प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावी ताकत के रूप में उभरा है।