Uttarkashi Tunnel Rescue: डीपीआईआईटी सचिव अनुराग जैन,ने कहा अगर सब-कुछ ठीक रहता है और मेरी मशीन एक ही बार में अंदर चली जाती है तो दो से ढाई दिन में हो जाता चाहिए। जो काम आज हमने सुबह शुरू कर दिया है तब से दो ढाई दिन में पूरा हो जाएगा। लेकिन उसमें अगर कठोर पत्थर आ गया तो हमें अपनी मशीन निकालनी पड़ेगी आदमी अंदर भेजना पड़ेगा उसे तोड़ना पड़ेगा तो उसमें समय लगेगा। तो वो कितनी बार करना पड़ता है उसके हिसाब से समय बदलना पड़ता है। पर अगर किस्मत अच्छी रही और एक भी ऐसी कोई चीज नहीं आई दो दो ढाई दिन के अंदर हम उनको रेस्क्यू कर लेंगे। डीआरडीओ ने जो रोबोट भेजा था उससे हम ये देख पाए हैं उसके ऊपर कैनोपी कैसी बनी है? ड्रोन से हमें अंदर का काफी कुछ दिखा जिससे हमें काफी मदद मिली।”फंसे हुए मजदूर हैं उनको लेकर ऐसी धारणा हो सकती है कि वे किसी तंग और सीमित जगह में होंगे लेकिन ये गलत है। लगभग दो किलोमीटर के अंदर पर्याप्त जगह है और अच्छी बात ये है कि जब सुरंग धंसी तो पावर ग्रिड को प्रभावित नहीं हुआ जिससे सुरंग के अंदर बिजली की आपूर्ति हो रही है।
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आम तौर पर बंद वातावरण में लोगों में विटामिन डी और सी की कमी हो जाती है। इन चीजों को वहां पहुंचाने की कोशिश की गई है जहां ये 41 कर्मचारी हैं।अब चार इंच से लेकर छह इंच तक चौड़ी पाइप आ गई है तो हम गर्म खाना भेज सकेंगे और इसके लिए ट्रायल चल रहा है। पाइप तो लग गया है लेकिन इसके जरिए हम कंप्रेस्ड एयर के जरिए कितनी तेजी से खाना भेज सकते हैं, हमें आज शाम तक पता चल सकेगा।एनडीआरएफ की दो टीमें वहां तैनात की गई हैं। वे किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए लगातार रिहर्सल कर रहे हैं। अगर किसी स्थिति में उन्हें रेंगते हुए सुरंग के अंदर जाना होगा और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद करनी होगी या मजदूरों को अंदर से लाना होगा क्योंकि वे शारीरिक रूप से कमजोर होंगे।बीआरओ उपकरणों को लाने के लिए सड़कें बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है।
(Source PTI)
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