वाराणसी: साल 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी वलीउल्लाह को गाजियाबाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इन धमाकों में 18 लोगों की मौत हुई थी ऐर 35 से अधिक लोग घायल हुए थे। 7 मार्च 2006 को हुए बम धमाकों ने बहुत से लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी। हालांकि वलीउल्ला को फांसी की सजा होने के बाद लोगों के घाव पर कुछ मरहम तो जरूर लगा है। इन बम धमाको की पीड़ा सहने वाले वाराणसी के संतोष साहनी ने इस पर खुलकर बात की है।
वाराणसी सीरियल ब्लास्ट ने बदल दी लोगों की जिंदगी
साल 2006 में वाराणसी में हुए बम धमाकों में कई परिवारों ने अपनों को खोया या जिनके अपने आज भी इस ब्लास्ट की पीड़ा को सहन कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है वाराणसी के रहने वाले संतोष साहनी जिन्होंने धमाकों के बाद जिंदगी में हुए बदलावों को देखा और जिंदगी बदलने के बाद समाज के उन बदली हुई नजरों को भी देखा जिसमें उनकी तरफ देखने का नजरिया ही बदल दिया संतोष इस बम धमाके में जिंदा तो बच गए लेकिन एक पैर खो दिया। दरअसल पैर ज्यादा खराब होने की वजह से डॉक्टरों ने उसे शरीर से अलग कर दिया और संतोष की जिंदगी बर्बाद हो गई।
Read Also – फिर डरा रहे कोरोना के नए आंकड़े, पिछले 24 घंटे में आए 3714 मामले
बम धमाके के पीड़ित का नहीं भरा अभी तक जख्म
संतोष का कहना है कि आज भले ही वलीउल्लाह को फांसी की सजा मिली हो उससे उन्हें कुछ राहत तो मिली है, लेकिन उनका जख्म अभी भी भरा नहीं है। उनका कहना है कि भले ही आज इस मामले के आरोपी को फांसी की सजा मिल रही हो लेकिन अभी भी उनके सामने उनके परिवार को चलाने का संकट बरकरार है। क्योंकि एक पैर से ना ही वह कोई काम कर सकते हैं और ना ही अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम।
वलीउल्लाह को सजा मिलने के बाद भी संतोष नाराज
उन्होंने आगे कहा कि, फिलहाल आज के फैसले के बाद संकट मोचन धमाकों के पीड़ित परिवारों ने न्यायालय को धन्यवाद तो दिया लेकिन संतोष इस बात से बेहद नाराज हैं कि उनकी जिंदगी में सिर्फ एक लाख की सरकारी मदद के अलावा किसी ने भी उम्मीद का हाथ नहीं बढ़ाया और आज भले ही वलीउल्लाह को फांसी की सजा मिल गई हो लेकिन उनके जीवन में हर रोज हो रहे धमाकों पर कौन मरहम लगाएगा।