(दिवाँशी)-WHEAT STUDY- बढ़ते तापमान का गेहूं पर भारी प्रभाव पडता है। इसके कारण 2040 तक गेहूं की पैदावार में पांच फीसदी तक और 2050 तक दस फीसदी तक कमी आने की आशंका है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है।
इस अध्ययन में गेहूं और ज्वार के उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की तुलना की गई। इस अध्ययन के बाद ये बात भी कही गई कि ज्वार पर गेहूं जैसा प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। 2030 तक गेहूं की उत्पादकता के लिए कुल ज़रूरत नौ फीसदी तक बढ़ सकती है, जबकि इस बीच ज्वार के लिए कुल ज़रुरत छह फीसदी तक ही बढ़ सकती है।
ज्वार की तुलना में गेहूं पर हुए अधिक अध्ययन
एक शोध के अनुसार, 1998 से 2020 के बीच भारत में गेहूं उत्पादन में करीब 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि ज्वार के उत्पादन में 10 प्रतिशत की कमी आई है। यह गिरावट फसल क्षेत्र में में 21 प्रतिशत की कमी के कारण हुई। शोधकर्ताओं के अनुसार, ज्वार उत्पादन में कमी का कारण यह है कि उस पर उतना शोध नहीं किया गया है, जितना कि गेहूं पर किया गया है।
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धान के रकबे में आई 26 फीसदी की कमी
बिपरजॅाय चक्रवात और मानसून की वजह से खरीफ की फसल पर काफी असर पडा है। एक ओर जहां धान के रकबे में 26 फीसदी की कमी आई है, तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान में बाजरे के रकबे में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान में जून माह में हुई 188 फीसदी अधिक बारिश ने किसानों को काफी फायदा पहुँचाया है।