3D Map: गूगल मैप्स किसी भी जगह जानें में हमारी मदद करता है। इसके पास दुनिया का नक्शा है, जिसमें पूरा देश, राज्य, शहर, कस्बे और गांव का डेटा शामिल है। साथ ही आप 3 डी मैप और सैटेलाइट मैप भी नेविगेशन ऐप्स पर देख सकते हैं। लेकिन 3D मैप का दायरा अब अधिक है। अब इसमें पृथ्वी ही नहीं पूरा ब्रह्मांड शामिल है। साइंटिस्ट्स ने विश्व का सबसे बड़ा 3D मैप बना लिया है। जिसमें डार्क एनर्जी को समझना बहुत आसान हो जाएगा।
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दरअसल, यूनिवर्स के एक बड़े सर्वे से विश्व के सबसे रहस्यमय हिस्सों में से एक डार्क एनर्जी के बारे में नई जानकारी मिली है। खास बात यह है कि जब इसे दूसरे विचारों के साथ जोड़ा जाता है तो डेटा बताता है कि डार्क एनर्जी, जो ज्यादातर समय के साथ निरंतर डेंसिटी बनाए रखने के लिए जाना जाता है वो यूनिवर्स के साथ विकसित हो सकती है। रिसर्चर्स के अनुसार 3D मैप पर गैलेक्सी और अन्य ऑब्जेक्ट्स के फैलाव के पैटर्न का विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों को यूनिवर्स के इतिहास को समझने में मदद मिलेगी।
कॉस्मोलॉजिस्ट यूनिवर्स के अनुसार, समय के साथ डार्क एनर्जी की स्थिति का समीकरण बदल सकता है। इसका अर्थ है कि वैज्ञानिकों ने यूनिवर्स के इतिहास को समझने के तरीके में बदलाव होगा। ये अध्ययन प्रोजेक्ट के पहले वर्ष के डेटा का विश्लेषण करते हैं, जिसमें 64 लाख गैलेक्सी और क्वासर की लोकेशन की मैपिंग की गई है। अल्ट्राब्राइट कोर क्वासर एक्टिव गैलेक्सी हैं। यह मैप साइंटिस्ट्स को यूनिवर्स में मौजूद साइज रिफ्रेंस की बदौलत यूनिवर्स के विस्तार की दर का अनुमान लगाने की इजाजत देता है। प्रारंभिक यूनिवर्स और साउंड वेव्स यूनिवर्स ने मैटर की डेंसिटी में बेरियोन अकॉस्टिक ऑसिलेशन का पैटर्न बनाया है।
गैलेक्सी की डेंसिटी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। इसलिए, गैलेक्सी एक खास दूरी पर एक दूसरे से अलग होने की अधिक संभावना होती है। यह दूरी एक रूलर की तरह काम करती है, जो यूनिवर्स के विस्तार से खिंचती है। यूनिवर्स के प्रत्येक युग में रूलर के आकार को मापकर यूनिवर्स का विस्तार कैसे हुआ पता चल सकता है। विशेषज्ञों ने यूनिवर्स को सात युगों में विभाजित किया है, जो 11 अरब साल का समय है। यह समय के साथ बढ़ता गया है।
बता दें, फिजिक्स में पांच सिग्मा खोज के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड हैं, जबकि तीन सिग्मा एक दिलचस्प संकेत हैं। स्थिति को समझने में अधिक डेटा मदद कर सकता है। कैलिफोर्निया में लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी में DESI फिजिसिस्ट नथाली पलांके-डेलाब्रॉइल कहते हैं कि हमारे पास आने वाला बहुत सारा डेटा हमें बताएगा कि क्या संकेत वास्तव में सही हैं या नहीं। DESI के वैज्ञानिकों ने 30 लाख क्वासर और 3.7 करोड़ गैलेक्सी के बारे में पांच साल का डेटा इकट्ठा करना शुरू किया है। प्रारंभिक परिणामों से पता चलता है कि DESI के वैज्ञानिक सही रास्ते पर हैं। पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट माइकल वुड-वेसी कहते हैं कि अधिक डेटा के साथ वे वास्तव में यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि डार्क एनर्जी क्या है और क्या लैम्ब्डा सीडीएम से कुछ डेविएशन अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
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कॉस्मोलॉजी में पहले से ही हबल कॉन्स्टेंट, यूनिवर्स के विस्तार की वर्तमान दर को मापने के बारे में बहस चल रही है। मापने के विभिन्न तरीकों से प्राप्त नतीजे विसंगत हैं। DESI के मैप हबल कॉन्स्टेंट टेंशन का समाधान नहीं करते हैं। लेकिन वैज्ञानिक हबल कॉन्स्टेंट सिचुएशन को बदल सकते हैं अगर वे अपने मानक लैम्ब्डा सीडीएम मॉडल से दूर चले जाते हैं। बोस्टन यूनिवर्सिटी के फिजिसिस्ट और DESI के सहयोगी डिलन ब्राउट कहते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि तनाव इस धारणा पर आधारित है कि लैम्ब्डा सीडीएम मॉडल सही है।