( अवैस उस्मानी ),Bihar Caste Census Case– बिहार जातिगत जनगणना के सर्वे के आंकड़ों पर किसी भी तरह की रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसी राज्य के काम पर रोक नहीं लगा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत, हाईकोर्ट ने भी विस्तार से मामले को सुना था। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि सर्वे का डेटा जारी कर दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई कर रहा था।
बिहार जातिगत जनगणना के सर्वे पर रोक लगाने की मांग वाली अर्ज़ी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीतिगत मामलों पर फैसला लेने पर किसी भी सरकार को रोकना गलत होगा। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि गैर कानूनी तरीके से डेटा जमा किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर कहा कि हम किसी भी तरह की यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश नहीं देने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि मामले में हाई कोर्ट का आदेश बहुत विस्तृत है कि पॉलिसी के लिए डेटा क्यों जरूरी है। आंकड़े अब सार्वजनिक हो चुके हैं, ऐसे में अब आपको क्या चहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बिहार सरकार से पूछा कि आपने आंकड़ों को जारी क्यों किया।
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बिहार जातिगत जनगणना के सर्वे पर रोक लगाने की मांग वाली अर्ज़ी पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई किया। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि बिहार सरकार ने डेटा एकत्र किया है, डेटा को जारी कर दिया गया है, हाई कोर्ट ने मामले में विस्तृत आदेश जारी किया था हम भी मामले में विस्तृत सुनवाई करेंगे। याचिकाकर्ता ने कहा कि बिहार सरकार को जातिगत जनगणना के सर्वे के आंकड़ों पर किसी भी तरह का कदम उठाने से रोकने की मांग किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्य के किसी काम पर रोक नहीं लगा सकते हैं।