(प्रदीप कुमार) -Agniveer yojna- अग्निवीर युवा सैनिक गवते अक्षय लक्ष्मण की सियाचिन में दुखद मौत के बाद अग्निवीर योजना पर फिर से सवाल उठे हैं। इस पर अग्नि वीरों को मिलने वाले मुआवज़े पर सेना की ओर से भी स्पष्टीकरण दिया गया है।
युवा सैनिक गवते अक्षय लक्ष्मण की दुखद मौत के बाद अग्निवीर योजना फिर से चर्चा के केंद्र में आ गई है।गवते अग्निवीर के रूप में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और उनकी सियाचिन ग्लेशियर में ड्यूटी पर रहते हुए मृत्यु हो गई ।इस घटना के बाद अग्निवीरों के परिवारों को मिलने वाली पेंशन लाभों को लेकर सवाल उठ रहे हैं।अब सेना की ओर से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दिया गया है।
सेना के बयान के मुताबिक, एक अग्निवीर का परिवार 48 लाख रुपये की बीमा राशि का हकदार है। उन्हें मुआवजे के रूप में 44 लाख रुपये, अग्निवीर द्वारा योगदान कई गई सेवा निधि का 30% के साथ-साथ सरकार की तरफ से समान योगदान और ब्याज भी मिलेगा। वहीं, अग्निवीर की सेना में भर्ती की तारीख से चार वर्ष पूरे होने में जितना वक्त बचा है, उसका पेमेंट भी मिलेगा।
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सेना की ओर से दिए बयान में बताया गया कि लक्ष्मण के परिवार को इस मद में 13 लाख रुपये से अधिक मिलेंगे। इसके अतिरिक्त, सशस्त्र बल बैटल कैजुअल्टी फंड से 8 लाख रुपये का योगदान और आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन से परिजनों को 30,000 रुपये की तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस तरह देखें तो गवते अक्षय लक्ष्मण के परिवार को कम-से-कम 1.13 करोड़ रुपये मिलेंगे।
वहीं बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी अग्निवीर योजना का विरोध कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाने पर लेते हुए उनके बयान को पूरी तरह से बेकार और गैर-जिम्मेदाराना’ बताया। इससे पहले गवते अक्षय लक्ष्मण की मृत्यु पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना की आलोचना करते हुए इसे भारत के बहादुर सैनिकों का अपमान बताया। राहुल गांधी ने कहा कि इन युवा सैनिकों के बलिदान के बावजूद, उनके परिवारों को कोई अनुग्रह राशि, सैन्य सुविधाएं या पेंशन लाभ नहीं दिए गए। कांग्रेस नेता कर्नल रोहित चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। बहरहाल अग्निवीर योजना को लेकर बहस और सवाल लगातार उठ रहे हैं।
गवते पहले अग्निवीर हैं जिनका ड्यूटी के दौरान बलिदान हुआ है।एक अन्य अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने 11 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। इस कारण उन्हें परंपरागत सैन्य सम्मान नहीं दिया गया था।