“न्याय होना बाकी है”, बेंगलुरू आत्महत्या मामला के बाद परिवार कर रहा न्याय की मांग

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Bengaluru Suicide Case: बेंगलुरू में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष के आत्महत्या करने के बाद उनका परिवार न्याय की मांग कर रहा है। 9 दिसंबर को 24 पन्नों का सुसाइड नोट और 90 मिनट का वीडियो बनाने के बाद अतुल ने अपनी जान दे दी। सुसाइड नोट में अतुल ने वैवाहिक जीवन, अपने खिलाफ दर्ज कई मामलों और पत्नी, रिश्तेदारों और उत्तर प्रदेश के एक जज की तरफ से कथित उत्पीड़न की वजह से सालों से चली आ रही ‘मानसिक प्रताड़ना’ के बारे में विस्तार से बताया और यहीं उनके आत्महत्या करने के पीछे की वजह बनी।

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सुभाष की मौत के बाद उनकी पत्नी और ससुराल के सदस्यों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया जौनपुर की रहने वाली हैं, जहां उन्होंने पहली बार अतुल, उनके भाई और माता-पिता के खिलाफ साल 2022 में जबरन दहेज मांगने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। अतुल का परिवार निकिता और उसके घर वालों के लिए सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है।

पीटीआई वीडियो से सुभाष के भाई विकास ने कहा- जो मेरे भाई ने किया है, मैं सिर्फ चाहता हूं कि उसे न्याय मिले। मैं चाहता हूं कि देश में कोई ऐसी कानून की प्रक्रिया बने जिससे पुरुषों को भी न्याय मिले। मैं ये चाहता हूं कि जो सामाजिक तौर पर जो भ्रष्टाचार चल रहा है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। सप्रीम कोर्ट या संसद की तरफ से एक कमेटी बनाई जाए पुरुषों के लिए जो झूठे मुकदमे दायर किए जा रहे सिस्टम में सुधार कर सके।

बता दें, सुभाष का शव सोमवार 9 दिसंबर को शहर के मंजूनाथ लेआउट इलाके में उनके आवास पर लटका हुआ पाया गया। जिस कमरे में उन्होंने अपने फांसी लगाई, वहां पुलिस को एक तख्ती मिली जिस पर लिखा था, “न्याय होना बाकी है।” इस बीच, निकिता के चाचा सुशील सिंघानिया ने अतुल के परिवारवालों के आरोपों को झूठा बताया। उन्होंने कहा, “मुझे मीडिया के माध्यम से पता चला कि मेरा नाम एफआईआर में दर्ज किया गया है। मैं वहां मौजूद नहीं था और मेरा इस घटना से कोई संबंध नहीं है। हमारे परिवार का कोई भी सदस्य वहां मौजूद नहीं था और पिछले तीन साल से ये मामला चल रहा है। हम उनसे मिलने नहीं गए। हमारा परिवार दोषी नहीं है। सुभाष के आरोप निराधार हैं। निकिता यहां नहीं हैं, लेकिन वो वापस आएंगी और अपने और परिवार पर लगाए गए हर आरोप का जवाब देगी।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक निकिता ने 24 अप्रैल 2022 को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और मारपीट करने का आरोप लगाते हुए जौनपुर में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें पति, सास, ससुर और देवर को आरोपित बनाया था। ये एफआईआर जौनपुर के कोतवाली पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता), 323 (हमला), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान करना), 506 (आपराधिक धमकी) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई थी।

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निकिता ने कहा कि उसने 26 अप्रैल 2019 को वाराणसी जिले में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अतुल से शादी की थी। मगर दहेज में 10 लाख रुपये की मांग को लेकर अतुल और उसके परिजन उसे मारते-पीटते थे। पत्नी ने दावा किया था कि ससुरालवालों की प्रताड़ना से परेशान उसके पिता की अचानक तबीयत खराब हो गयी और 17 अगस्त 2019 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।

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