सदन के सुचारु और प्रभावी कामकाज के लिए सरकार और विपक्ष दोनों का सामूहिक उत्तरदायित्व है – वेंकैया नायडु

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दिल्ली(प्रदीप कुमार): राज्यसभा के सभापति, एम. वेंकैया नायडु ने आज आभासी रूप से हैदराबाद से राज्यसभा के नवनिर्वाचित/नाम-निर्देशित सदस्यों के लिए दो दिवसीय विषयबोध कार्यक्रम का उद्घाटन किया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, सभापति, राज्यसभा एम. वेंकैया नायडु ने सदन के नवनिर्वाचित/नाम-निर्देशित सदस्यों को कुछ सुझाव दिए जो उन्हें एक प्रभावी सांसद बनने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने सदस्यों को सलाह दी कि वे संसद में नियमित रूप से उपस्थित हों और जिस तरह से वरिष्ठ संसद सदस्य अपनी बात रखते हैं और अपने विचारों को बहुत व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत हैं, उसका वे ध्यानपूर्वक अवलोकन करें। नए सदस्यों को देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था का हिस्सा बनने के उपलक्ष्य में बधाई देते हुए, सभापति नायडु ने राज्यसभा के नवनिर्वाचित/नाम-निर्देशित सदस्यों से जनता के कल्याण और देश के विकास के लिए अपनी सदस्यता का इष्टतम उपयोग करने का आग्रह किया।                                      Breaking news in hindi, 
राज्यसभा सभापति नायडु ने सदस्यों को सार्वजनिक महत्त्व के मामलों को उठाने के लिए सदस्यों को उपलब्ध अनेक प्रक्रियात्मक युक्तियों का अधिकाधिक उपयोग करने की सलाह दी। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि सदस्यों के बीच नियमों और प्रक्रियाओं की अच्छी समझ होने से कार्यवाही को अधिक व्यवस्थित और अधिक उद्देश्यपूर्ण बनाने में मदद मिलेगी, उन्होंने सदस्यों को सदन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नियमों के प्रति सचेत रहने की सलाह दी।
संसद में बढ़ते व्यवधान और टकराव के कारण वाद-विवाद और चर्चाओं की धूमिल होती छवि पर चिंता व्यक्त करते हुए, राज्यसभा सभापति नायडु ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थानों के काम करने के तरीके से लोग, विशेष रूप से युवा, असंतुष्ट हो रहे हैं और उनका इससे मोहभंग हो रहा है। उन्होंने सदस्यों से जनता में सम्मानित संसदीय संस्थाओं की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए इस तरह की अप्रिय घटनाओं और स्थितियों को समाप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सदन में अनुशासन, गरिमा और मर्यादा बनाए रखना, संसदीय संस्थाओं की अनिवार्य शर्त है।

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राजयसभा सभापति नायडु ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि विरोधमूलक राजनीति को संसद और राज्य विधानसभाओं के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालने देना चाहिए और मतभेदों को बहस और चर्चा के माध्यम से और एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की क्षमता पैदा करके हल किया जाना चाहिए और इसमें यह आवश्यक नहीं है कि आप एक दूसरे के मत से सहमत ही हों।                      Breaking news in hindi, 
सदस्यों से सदन की कार्यवाही को समृद्ध बनाने हेतु महत्त्वपूर्ण और सार्थक योगदान देने का आग्रह करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि सरकार की प्रबुद्ध आलोचना का सदैव स्वागत है किन्तु संसदीय रणनीति के रूप में लंबे-लंबे व्यवधानों का सहारा लेने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि “सरकार को प्रस्ताव उपस्थित करने दें, विपक्ष को विरोध व्यक्त करने दें और सभा को कार्य निष्पादित करने दें”, लोकतंत्र में आगे बढ़ने का यही एकमात्र तरीका है। सदस्यों को थ्री-डी मंत्र ‘चर्चा (Discuss), वाद-विवाद (Debate) और निर्णय(Decide)’ का सहारा लेना चाहिए और एक अन्य डी – ‘व्यवधान’ से बचना चाहिए।
सदस्यों को यह याद दिलाते हुए कि उनका प्रदर्शन और आचरण निरंतर सार्वजनिक जांच और मूल्यांकन के अधीन है, श्री नायडु ने उन्हें जनता के भरोसे और विश्वास को बनाए रखने की सलाह दी, जिसे व्यवस्थित कार्यवाही के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “सदन के सुचारु और प्रभावी कामकाज के लिए सरकार और विपक्ष दोनों का सामूहिक उत्तरदायित्व है।”                            Breaking news in hindi, 
प्रधानमंत्री के ‘प्रदर्शन, सुधार और परिवर्तन’ के आदर्श वाक्य पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि सदन के कामकाज को प्रभावी ढंग से बढ़ाने के लिए उनके द्वारा किए गए ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले आठ सत्रों में सदन की उत्पादकता लगभग दोगुनी हो गई है। उन्होंने नए सदस्यों से अनुरोध किया कि उनके पास इस बात का विकल्प चुनने के लिए दो ही मार्ग हैं, या तो वे इस सकारात्मक प्रवृत्ति को चुनें और उसे आगे ले जाएं और परिवर्तन का कारक बनें अथवा अवरोधवादी बनें।                            Breaking news in hindi, 
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि राज्य सभा की विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियाँ कार्यकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संसद का प्रभावी साधन हैं, विशेष रूप से अंतर-सत्रावधि के दौरान वे इस तथ्य को रेखांकित करती है कि संसद न केवल सत्र के दौरान बल्कि पूरे वर्ष कार्य करती है।राज्यसभा सभापति नायडु ने सदस्यों से अपनी मातृभाषा में बोलने का आग्रह करते हुए कहा कि सभी बाईस अनुसूचित भाषाओं में युगपत् भाषांतरण की सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की गई है जिससे सदन की कार्यवाही में मातृभाषा का प्रयोग बढ़ा है।
सभापति नायडु ने इस बात पर बल दिया कि संसद में सदस्यों द्वारा प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विशेषाधिकार किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध कुछ भी कहने या मानहानिकारक या अभद्र या अशोभनीय या असंसदीय शब्दों का उपयोग करने की असीमित स्वतंत्रता नहीं देता है। उन्होंने सभी सदस्यों से सदन में या उसके बाहर सभ्य और सम्मानजनक तरीके से आचरण करने और आचरण के उच्च मानकों को बनाए रखते हुए दूसरों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने का आग्रह किया।                                  Breaking news in hindi, 
 दो दिवसीय विषयबोध कार्यक्रम की शुरुआत राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश के स्वागत भाषण से हुई।  राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य, जयराम रमेश ने ‘राज्य सभा: भारतीय राजनैतिक व्यवस्था में इसकी भूमिका और योगदान’;  और सुशील कुमार मोदी ने ‘प्रश्नकाल के महत्त्व’ पर अपने विचार साझा किए;  जबकि श्रीमती  वंदना चव्हाण ने समिति प्रणाली पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किए;  भूपेन्द्र यादव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री;  तथा श्रम और रोजगार मंत्री ने ‘कानून निर्माण की प्रक्रिया’ की व्याख्या की;  राज्य सभा के महासचिव पी.सी.  मोदी ने ‘राज्य सभा सचिवालय के कार्यकरण का एक सिंहावलोकन’ भी प्रस्तुत किया।
 दो दिवसीय विषयबोध कार्यक्रम का समापन कल रविवार को होगा।

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