Chandigarh: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से जुड़े किसानों ने बुधवार यानी की आज 5 मार्च को दावा किया कि उन्हें मांगों के समर्थन में आयोजित ‘धरने’ के लिए चंडीगढ़ की ओर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। धरने के मद्देनजर पुलिस ने चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं और सुरक्षा बढ़ा दी है। एसकेएम 30 से अधिक किसान संगठनों का समूह है, जो अपनी मांगों के समर्थन में पांच मार्च से चंडीगढ़ में एक हफ्ते का धरना बुलाया है।
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संगठन ने कहा कि बुधवार 5 मार्च की सुबह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों सहित दूसरे वाहनों में चंडीगढ़ के लिए निकले किसानों को पंजाब पुलिस रोका रही है। मोगा में क्रांतिकारी किसान यूनियन जिला मोगा के अध्यक्ष जतिंदर सिंह ने कहा कि जब वे चंडीगढ़ जा रहे थे तो पंजाब पुलिस ने उन्हें मोगा जिले के अजीतवाल में रोक दिया। सिंह ने दावा किया कि उनके कुछ साथियों को पुलिस ने “हिरासत में” लिया है।
किसानों ने चंडीगढ़ जाने की इजाजत नहीं देने पर भगवंत मान सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए। उन्होंने बताया कि समराला में भी किसानों को पुलिस ने चंडीगढ़ जाने से रोक दिया। चंडीगढ़ प्रशासन ने किसानों को शहर के सेक्टर 34 में धरना देने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। चंडीगढ़ पुलिस ने मंगलवार 4 मार्च को यातायात सलाह जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि वाहनों के आवागमन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए पांच मार्च को कुछ सड़कों पर यातायात की आवाजाही को रेगुलेट किया जा सकता है। पंजाब पुलिस ने मंगलवार को बलबीर सिंह राजेवाल, रुल्दू सिंह मनसा, गुरुमीत सिंह भाटीवाल, नछत्तर सिंह जैतों, वीरपाल सिंह ढिल्लों, बिंदर सिंह गोलेवाल और गुरनाम भीखी सहित कई किसान नेताओं को “हिरासत में” लिया।
एसकेएम नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने मंगलवार 4 मार्च को किसान नेताओं से चंडीगढ़ की ओर बढ़ने की अपील की थी। उन्होंने किसानों से कहा था कि अगर चंडीगढ़ जाते समय पुलिस उन्हें रोकती है तो वे खाली जगह पर बैठें लेकिन सड़कों को जाम न करें। मान ने मंगलवार 4 मार्च को हर दूसरे दिन प्रदर्शन करने, पंजाब को “धरना राज्य” में बदलने और राज्य को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए कई किसान संगठनों की आलोचना की। किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए पंजाब सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के बीच सोमवार को बातचीत बीच में ही टूट जाने के बाद मान ने किसान संगठनों की निंदा की।
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एसकेएम ने निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन की अगुवाई की थी। किसान संगठन कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के केंद्र के मसौदे को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, राज्य की कृषि नीति को लागू करने, राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बासमती, मक्का, मूंग, आलू सहित छह फसलों की खरीद की मांग कर रहा है। वे ऋण निपटान के लिए एक कानून, हर खेत में नहर का पानी सुनिश्चित करने वाले भूमि जोतने वालों के स्वामित्व अधिकार, गन्ना बकाया का भुगतान, भारतमाला परियोजनाओं और नौकरियों के लिए भूमि के “जबरन” अधिग्रहण को रोकने और 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं।