प्रदीप कुमार – कारोबारी अडानी पर छिड़ा विवाद लगातार बड़ा होता जा रहा है और इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अब इस विवाद पर शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सेबी चेयरपर्सन को चिट्ठी लिखी है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि जो बात सरकार या सेबी को पता होनी चाहिए थी, वो बातें एक रिपोर्ट से सामने आ रही हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि इसकी कड़ी जांच होनी चाहिए। सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सेबी चेयरपर्सन Ms. Madhabi P. Buch को लिखी चिट्ठी में अडानी ग्रुप की कथित वित्तीय अनिमियताओं को लेकर आगाह किया है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा है कि मैं यह पत्र एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फर्म – अडानी समूह द्वारा कथित अनियमितताओं के कारण बाजार की अस्थिरता पर गहरी चिंता के कारण लिख रही हूं। अडानी समूह की 10 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण अब तक 43 प्रतिशत कम हो गया है, जो लगभग 100 बिलियन डॉलर या 8.3 लाख करोड़ रुपये के नुकसान में तब्दील हो गया है। प्रियंका चतुर्वेदी ने आगे लिखा है कि 10 सूचीबद्ध अडानी समूह की फर्मों में व्यक्तिगत निवेशकों का कुल निवेश मूल्य 30 जनवरी, 2023 को घटकर 41,499 करोड़ रुपये रह गया, जो 24 जनवरी, 2023 को 54,066 करोड़ रुपये था।
सेबी चेयरपर्सन को लिखी चिट्ठी में सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि समूह पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें बाजार में हेरफेर, टैक्स हेवन का अनुचित उपयोग, खुदरा निवेशकों के लिए जोखिम, शेयरों का अधिक मूल्य निर्धारण और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं का अधिक जोखिम आदि शामिल हैं। चिट्ठी में कई चिंताओं को उठाया गया है इसमे भारत की अर्थव्यवस्था में अडानी फर्म के महत्व और कोयला, सीमेंट, ऊर्जा, प्राकृतिक गैस, बिजली, हवाई अड्डे के संचालन, बुनियादी ढांचे आदि जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में अडानी फर्म की मौजूदगी को लेकर आगाह करते हुए कहा गया है कि 1. सेबी ने 2021 में समूह की कुछ कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की थी।
हालांकि, इस संबंध में कोई क्लोजर रिपोर्ट दायर नहीं की गई है और न ही नियामक द्वारा निवेशकों और आम जनता को देरी के कारणों से अवगत कराया गया है। नियामकों को जांच का विवरण और जांच पूरी करने में देरी के ठोस कारण प्रदान करने चाहिए।
2. नियामक को निवेशकों को बैंकों, विशेष रूप से राष्ट्रीयकृत बैंकों के विवरणों से भी अवगत कराना चाहिए, जो अडानी समूह में अपनी इक्विटी और ऋण उपकरणों के माध्यम से शेयरों के संपर्क में हैं।
3. नियामक को संबंधित संस्थाओं की संलिप्तता के आरोपों पर भी गौर करना चाहिए।
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स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करना,
चिट्ठी में सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि सभी आरोप न केवल शेयरधारकों के लिए बल्कि भारत के राष्ट्रीय हित के लिए भी गंभीर चिंता का विषय हैं। इसलिए, कृपया यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं कि निजी व्यावसायिक संस्थाओं के कार्यों से बाजार में अस्थिरता पैदा न हो और भारत के मध्यम वर्ग के निवेशकों की गाढ़ी कमाई जोखिम में न पड़े।