Cyberbullying- आज का युग डिजिटल युग है.इस डिजिटल युग के चलते देश का हर छठा बच्चा साइबरबुलिंग (Cyberbullying) का शिकार है। धीरे- धीरे डिजिटल की दुनिया बच्चों के लिए खतरा बन रही है.और बच्चे इस डिजिटल युग में असुरक्षित हैं.यूरोप, मध्य एशिया और उत्तरी अमेरिका में 279,000 बच्चों पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है.आपको बता दे कि हर महीने 15 फीसदी बच्चे और 16 फीयदी बच्चियां साइबरबुलिंग का शिकार हुए है. 2022 में 11 से 15 साल के 16 फीसदी बच्चे साइबरबुलिंग के शिकार हुए, जो कि 2018 की तुलना में 3 फीसदी अधिक है। वहीं, चार साल पहले ये आंकड़े 13 प्रतिशत थे। WHO ने अपनी रिपोर्ट ने यह चिंताजनक स्थिति बताई है
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6 घंटे ऑनलाइन समय बिता रहे बच्चे- आपको बता दे कि बच्चे 24 घंटे में से 6 घंटे ऑनलाइन रहते हैं कुछ लोग इससे भी ज्यादा ऑनलाइन रहते हैं ऐसे में साइबर बुलिंग का खतरा बढ़ रहा हैं और बच्चों को अपना शिकार बना रहा हैं. साइबरबुलिंग सबसे ज्यादा बुल्गारिया में दर्ज की गई हैं.WHO की रिपोर्ट में ये भी कहा गया हैं कि माता- पिता की सामाजिक स्थिति का बच्चों के साइबर बुलिंग को लेकर कोई बदलाव नहीं देखा गया।
साइबरबुलिंग के प्रकार – साइबरबुलिंग कई तरह के होते हैं- जैसे अपमानजनक नाम रखना या संबोधित करना, झूठी और नकारात्मक बात फैलाना, अवांछित तस्वीरें भेना, निजी जानकारी और तस्वीरों को फैलाना
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लॉकडाउन के बाद तेजी के साथ शिकार- कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया. लॉकडाउन के दौरान स्कूल,कॉलेज ऑफिस आदि बंद करना का ऐलान कर गया.ज्यादातर लोग घर में ही फ्री रहते थे.फ्री होने के कारण ज्यादातर लोग ऑनलाइन ही रहते थे.ज्यादा ऑनलाइन के कारण बच्चों और किशोरों में वर्चुअल हिंसा तेजी के साथ बढ़ने लगी.WHO की रिपोर्ट के अनुसार ,लॉकडाउन में दौरान बच्चों और किशोरों में तेजी के साथ साइबर बुलिंग शुरू हुई.ज्यादातर कम उम्र के लोग शिकार हुए.अध्ययन में शामिल किए गए 11 फीसदी लड़के-लड़कियों ने बताया कि महीने में कम-से-कम दो या तीन बार उन्हें स्कूल में साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा।बच्चों और किशोरों के बीच साइबर अपराध के ऐसे मामले बढ़े हैं। कोविड महामारी ने बच्चों के एक दूसरे के प्रति आचरण में बदलाव ला दिया है। इस दौरान बच्चों में दोस्तों की वर्चुअल हिंसा का तेजी से चलन बढ़ा है।