डेनिश पार्लियामेंटरी कमिटी फॉर यूरोपियन अफेयर्स ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की मुलाकात

(प्रदीप कुमार)इस अवसर पर बोलते हुए ओम बिरला ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है और डेनमार्क की तरह भारत भी एक जीवंत और परिपक्व लोकतन्त्र है। यह विचार व्यक्त करते हुए कि दोनों देश शांति, लोकतंत्र और मानवधिकारों का समर्थन करते हैं ओम बिरला ने भारत और डेनमार्क के बीच नियमित संसदीय आदान प्रदान पर जोर दिया। ओम बिरला ने सुझाव दिया कि भारत और डेनमार्क के बीच चर्चा-संवाद की एक नियमित प्रक्रिया विकसित हो ताकि हम एक दूसरे के लोकतंत्र से सीख सकें और अपनी बेस्ट प्रैक्टिसेज को साझा कर सकें। इस सन्दर्भ में ओम बिरला ने 2021 में डेनमार्क के प्रधानमंत्री के भारत दौरे और पिछले वर्ष भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के डेनमार्क दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह की उच्च स्तरीय दौरों से दोनों देशों के बीच संबंध और सुदृढ़ हुए हैं और संबंधों को नई ऊर्जा मिली है।

सितंबर 2020 में भारत और डेनमार्क के बीच शुरू हुई हरित रणनीतिक साझेदारी का जिक्र करते हुए ओम बिरला ने कहा कि इस साझेदारी ने दोनों देशों के बीच समन्वय को बेहतर बनाया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में इस साझेदारी से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि आज जब भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी मुद्दों, व्यापारिक एवं आर्थिक सम्बन्धों, शोध एवं नवाचार, और दोनों देशों के लोगों के बीच सुदृढ़ संपर्क जैसे परस्पर हित के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच साझेदारी और सहयोग की पर्याप्त संभावनाएं हैं।

ओम बिरला ने बताया कि भारत ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के आदर्श वाक्य के साथ जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की है और जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध भारत का संघर्ष संपूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में जोड़गा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि डेनमार्क और भारत की लोकतान्त्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता अंतराष्ट्रीय मंचों पर एक सदृढ़ साझेदारी को बल देगी।

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ओम बिरला ने डेनिश डेलीगेशन को सूचित किया कि भारत जी 20 समिट के अंतर्गत निकट भविष्य में पी 20 सम्मेलन का आयोजन भी करेगा जिसमें जी 20 राष्ट्रों के अतिरिक्त आमंत्रित राष्ट्रों के पीठासीन अधिकारी भाग लेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस सम्मलेन के दौरान संसदीय शासन व्यवस्था और लोकतान्त्रिक मूल्यों की प्रासंगिकता पर उद्देश्यपरक संवाद होगा जिससे सम्पूर्ण विश्व का कल्याण होगा।

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