(प्रदीप कुमार)-दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिग के बीच अभिवादन मुलाकात हुई है।साथ ही ब्रिक्स के विस्तार पर साथी देशों में सहमति बनी है।अर्जेंटीना और सऊदी अरब समेत छह देशों को ब्रिक्स में नए स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।
पीएम मोदी ब्रिक्स सबमिट में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका में है इस दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति के बीच संक्षिप्त मुलाकात हुई है।ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने आज मुलाकात की।दोनों ने हाथ मिलाए और एक-दूसरे का अभिवादन किया।इससे पहले बुधवार को, प्रधानमंत्री और जिनपिंग ने पूर्ण सत्र में हिस्सा लिया था,लेकिन फोटोग्राफ सत्र के दौरान दोनों नेता अलग-अलग खड़े दिखे थे।
वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ब्रिक्स समिट को संबोधित किया।प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान हुई चर्चा पर भारत का पक्ष रखा पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स के विस्तार पर साथी देशों में सहमति बनी है।अर्जेंटीना और सऊदी अरब समेत छह देशों को ब्रिक्स में नए स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।पीएम मोदी ने कहा कि भारत इस कदम का समर्थन करता है।
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इस दौरान पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 मिशन को लेकर भी बात की। पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 ने कल चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की। यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय के लिए उपलब्धि है। पीएम ने कहा कि भारत ने जहां टारगेट किया था, हमने वहीं लैंडिंग की। एक कठिन सतह पर हमने सफलतापूर्व लैंडर को लैंड कराया। यह भारत के वैज्ञानिकों के लिए बड़ी उपलब्धि है। हमें पूरी दुनिया की तरफ से जो बधाई के संदेश मिले हैं। मैं उसके लिए अपने वैज्ञानिकों और देशवासियों की तरफ से आपका शुक्रिया अदा करता हूं।
पीएम मोदी ने कहा है कि मुझे खुशी है कि तीन दिन की इस बैठक से कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। हमने 15वीं वर्षगांठ पर इसका विस्तार करने का फैसला किया है। भारत ने ब्रिक्स की सदस्यता में हमेशा से पूरी तरह समर्थन किया है। आज हम अर्जेंटीना, मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, इथियोपिया और यूएई का ब्रिक्स में स्वागत करने के लिए सहमत हुए हैं।पीएम मोदी ने कहा कि ‘जिन अन्य देशों ने भी ब्रिक्स से जुड़ने की इच्छा जताई है,भारत उन्हें भी पार्टनर देशों के तौर पर जुड़ने के लिए कंसेसस देगा।पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स का आधुनिकीकरण और विस्तार इस बात का संदेश है कि विश्व के सभी संस्थानों को बदलते समय की परिस्थितियों के अनुरूप ढलना चाहिए।यह ऐसी पहल है जो 20वीं सदी में स्थापित अन्य ग्लोबल संस्थानों के लिए एक मिसाल बन सकता है।