सोनीपत(सुनील जिंदल): प्रदेश की सरकार दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना के तहत सहायता पहुंचाने का भरपूर प्रयास कर रही है लेकिन कुछ स्वार्थी और लालची लोग बुजुर्गों और दिव्यांगों की पेंशन पर भी डाका डाल लेते हैं। मामला सोनीपत के गांव भदाना से सामने आया है जहां पर गांव में बुढ़ापा, विधवा और दिव्यांग समेत लगभग 700 लोग पेंशन पर आश्रित है और इनके परिवार में हालात इतने विषम है कि जिसे सुनकर हर कोई अपनी आंखें नम कर लेगा, क्योंकि पिछले कई महीनों से पेंशन का पैसा ना मिलने के कारण उनकी रोटी के भी लाले पड़ गए हैं, उधार लेकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं।
लेकिन यह भी कब तक चलेगा, क्योंकि गांव भदाना में पेंशन वितरण करने वाला ही पेंशन धारी लोगों की पेंशन पर डाका डाल रहा है और जिसको लेकर प्रशासन भी बेखबर है और बार-बार हर दरवाजे पर अर्जी लगाने के बावजूद भी किसी ने कोई सुनवाई नहीं की है। सीएम विंडो को भी शिकायत दी जा चुकी है। लेकिन कहीं से कोई हल नहीं निकला कोई ऐसा अधिकारी सामने नहीं आया जिसने बुजुर्गों की पेंशन दिलवा दी हो, इनके दर्द के सामने प्रशासन को आगे आकर खुद कार्रवाई करनी चाहिए।
ग्रामीणों का आरोप है कि पेंशन वितरण करने वाला विक्रांत पेंशन देने के वक्त पर कभी नहीं आता है और जब उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए ग्रामीण एकत्रित होते हैं तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई भी प्रशासन द्वारा नहीं की जाती। ग्रामीणों ने ये भी कहा गया है कि पेंशन वितरण करने वाले विक्रांत की ऊंची सिफारिश के कारण पेंशन में गड़बड़झाला के आरोप सिद्ध होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसको लेकर पिछले दिनों एफआईआर भी दर्ज हुई थी।
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लेकिन फिर भी वही व्यक्ति पेंशन वितरण का कार्य कर रहा है। गौरतलब है कि जहां पेंशन की कॉपी में हर महीने एंट्री की जानी चाहिए। वहीं, कुछ बुजुर्गों की कॉपी में अप्रैल 2021 के बाद कोई एंट्री नहीं दिखाई गई है। जबकि उनकी पेंशन लगातार विभाग दे रहा है लेकिन बुजुर्गों को पेंशन नहीं पहुंच पा रही है और उनकी पेंशन के पैसे को ब्याज पर देकर मुनाफा कमा रहा है।
सरकारी पेंशन योजना में घोटाला करने वाले किस्से कोई नए नहीं है। लगातार बुजुर्गों की पेंशन और मृत बुजुर्गों की पेंशन को हजम कर रहा है। लेकिन हकीकत यह थी कि इन बुजुर्गों से सरोकार न तो विभाग के अधिकारियों को है और ना ही जिला के अन्य अधिकारियों को है। अगर सरोकार होता तो असहाय बुजुर्ग पेंशन के लिए धक्के न खा रहे होते।
वहीं, गांव की पंच नीलम ने बताया कि जो बुजुर्ग के मरने से पूर्व सारी कार्रवाई करके चले जाते हैं तो उनकी भी पेंशन उन्हें नहीं मिलती है और उनकी पेंशन खुद निकाल कर खा जाता है, बुजुर्ग पेंशन के ही सहारे जी रहे हैं और सरकार से प्रार्थना है कि जल्दी से इसका समाधान करवाएं।