Elections: देश में कुछ ही दिनों में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। 2024 लोकसभा के चुनाव 7 चरणों में होंगे और नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे। 19 अप्रैल से चुनाव के पहले चरण की शुरुआत होगी। चुनाव में किसकी जीत होगी और हार ये पूरी तरह से जनता के हाथ में होता है। वो जिस भी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर सबसे ज्यादा मुहर लगा दें उसकी जीत होती है। लेकिन किसी वोटर को अगर चुनाव में खड़े कोई उम्मीदवार पसंद न हों तो उसने लिए चुनाव आयोग ने अंत में NOTA यानी ‘उपरोक्त में से कोई नहीं का विकल्प बनाया है। अब ये NOTA होता क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में…
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दरअसल, लोकतंत्र में नागरिकों को चुनाव में भाग लेना अनिवार्य होता है। ऐसा करने से ही सुचारु रुप से चुनाव पूर्ण हो पाता है। लेकिन वोटर्स को अगर चुनाव में खड़े कोई उम्मीदवार न पसंद आएं ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग ने ये जानने के लिए कि कितने प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं, NOTA नाम का विकल्प EVM मशीन के अंत में रखा है। चुनाव आयोग द्वारा ऐसा करने का ये भी उद्देश्य था कि वो ये जान सकें कि चुनाव में खड़े किए गए उम्मीदवारों को लोग कितना योग्य समझते हैं।
NOTA का विकल्प होने से उम्मीदवारों को नापंसद होने के बावजूद किसी उम्मीदवार को वोट करने की जरुरत नहीं पड़ती है। EVM मशीन के अंत में NOTA का विकल्प दिया 2013 में दिया गया था। NOTA का अर्थ होता है ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ यानी मौजूदा सभी उम्मीदवारों में से कोई नहीं। अब चुनाव आयोग ने ये विकल्प तो दे दिया लेकिन प्रश्न ये उठता है कि अगर ज्यादातर वोटर्स ने अगर NOTA को वोट दे दिया तो क्या होगा?
बता दें, 2013 में चुनाव आयोग द्वारा NOTA का विकल्प दिया तो गया था लेकिन तब उसे अवैध वोट की तरह देखा जाता था यानी अगर NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो उसे अवैध माना जाता है और NOTA के बाद जिसे सबसे ज्यादा वोट मिले होते हैं उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। लेकिन 2018 में इस नियम में बदलाव किया गया और NOTA को भी उम्मीदवारों की भांती दर्जा प्राप्त हो गया। ऐसा तब हुआ जब 2018 में हरियाणा के 5 जिलों में नगर निगम चुनाव में NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिले थे। तब चुनाव आयोग ने सभी उम्मीदवारों को अयोग्य करार देते हुए दोबारा चुनाव कराने का ऐलान किया था।
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एक और स्थिती हो सकती है अगर चुनाव में खड़े किसी उम्मीदवार और NOTA दोनों को एक समान वोट मिल जाते हैं तो क्या होगा? उस स्थिती को देखते हुए वर्ष 2018 में महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग के एक ऑर्डर के अनुसार अगर NOTA और किसी उम्मीदवार को समान वोट मिलते हैं तो चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार को ही विजेता माना जाएगा। लेकिन अगर NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो दोबारा चुनाव कराए जाएंगे और अगर उस बार भी NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो तीसरी बार चुनाव नहीं होंने बल्कि NOTA के बाद जिसे सबसे ज्यादा वोट मिले होंग उसे विजेता माना जाएगा।