इसरो टेस्ट व्हीकल मिशन के लॉन्च के साथ पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम के लिए तैयार

 Gaganyaan Mission- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शनिवार को सिंगल स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन राकेट के लॉन्च के जरिये मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘गगनयान’ की दिशा में आगे बढ़ेगा। इस दौरान, फर्स्ट ‘क्रू मॉड्यूल’ के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का टेस्ट किया जाएगा। इसरो का लक्ष्य तीन दिन के गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।इसरो के दूसरे मिशन से इतर अंतरिक्ष एजेंसी अपने टेस्ट व्हीकल सिंगल स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन रॉकेट (टीवी-डीवन) के सफल लॉन्च का प्रयास करेगी। इसे 21 अक्टूबर को सुबह आठ बजे इस अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम प्रक्षेपण स्थल से लॉन्च करना निर्धारित किया गया है।

इस ‘क्रू मॉड्यूल’ के साथ टेस्ट व्हीकल मिशन, ओवरऑल गगनयान कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है क्योंकि फ्लाइट टेस्ट के लिए के लिए लगभग पूरे सिस्टम को इंटिग्रेट किया गया।इस बीच शुक्रवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के वैज्ञानिकों ने लॉन्च से पहले 13 घंटे की उल्टी गिनती शुरू की।इस टेस्ट फ्लाइट की कामयाबी बाकी टेस्टों और मानवरहित मिशन के लिए मंच तैयार करेगी। गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में तीन दिन के मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।

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‘क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और ये अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने लायक जगह है। इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है। इसमें क्रू इंटरफेस, जीवन रक्षक प्रणाली, वैमानिकी और गति में कमी से जुड़ी प्रणाली (डिसेलेरेशन सिस्टम) मौजूद हैं।नीचे आने से लेकर उतरने तक के दौरान क्रू टीम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे दोबारा भेजने के लिए भी डिजाइन किया गया है।चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व में बने श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण परिसर में एकीकृत किए जाने से पहले क्रू मॉड्यूल को इसरो के केंद्रों में कई टेस्ट से गुजरना पड़ा।

शनिवार को पूरे टेस्ट फ्लाइट कार्यक्रम के संक्षिप्त रहने की उम्मीद है क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डीवन) क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल को 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर लॉन्च करेगा, जिसके श्रीहरिकोटा के पूर्वी तट से लगभग 10 किलोमीटर दूर समुद्र में सुरक्षित उतरने की उम्मीद है। बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना इन्हें खोज कर निकालेगी।टीवी-डी1 यान एक संशोधित ‘विकास’ इंजन का उपयोग करता है जिसके अगले सिरे पर ‘क्रू मॉड्यूल’ और यात्री बचाव प्रणाली लगी होती है। रॉकेट 34.9 मीटर लंबा है और इसका भार 44 टन है।

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टीवी-डी1 उड़ान एक ‘सिम्युलेटेड थर्मल सुरक्षा प्रणाली’ के साथ एकल-दीवार वाली बिना दबाव वाली एल्यूमीनियम की संरचना है।
टेस्ट व्हीकल डीवन मिशन का लक्ष्य नए विकसित टेस्ट व्हीकल के साथ चालक बचाव प्रणाली की रॉकेट से अलग होने और सुरक्षित वापसी की क्षमता को प्रदर्शित करना है।

मिशन के कुछ उद्देश्यों में उड़ान प्रदर्शन और परीक्षण वाहनों का मूल्यांकन, चालक बचाव प्रणाली, क्रू मॉड्यूल विशेषताएं, और अधिक ऊंचाई पर गति नियंत्रण शामिल हैं। इस अभियान के माध्यम से, वैज्ञानिकों का लक्ष्य चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जिन्हें वास्तव में गगनयान मिशन के दौरान एलवीएम-थ्री रॉकेट से ‘क्रू मॉड्यूल’ में भेजा जाएगा।टीवी-डीवन के शनिवार को टेस्ट के साथ वैज्ञानिकों ने टेस्ट की एक सीरीज भी तैयार की है

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