संसद सदस्यों ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को पुष्पांजलि अर्पित की।स्पीकर ओम बिरला ने नई पहल का भी किया शुभारम्भ

(प्रदीप कुमार) – Raveendranaath taigor jayantee –लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने आज गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री, भानु प्रताप सिंह वर्मा, संसद सदस्यों, पूर्व सदस्यों और अन्य विशिष्टजनों ने भी संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
लोक सभा के महासचिव,  उत्पल कुमार सिंह ने भी इस अवसर पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम के भाग के रूप में, देश भर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों और कॉलेजों से चुने गए युवा प्रतिभागियों ने भी संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को पुष्पांजलि अर्पित की।Gurudev raveendranaath taigor jayantee
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, ओम बिरला ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन से हमें अपने देश और पूरी मानवता के प्रति समर्पण की भावना की शिक्षा मिलती है। ओम बिरला ने यह भी कहा कि राष्ट्रवाद, देशभक्ति और स्वतंत्रता पर लिखी उनकी कविताओं से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई लोगों को प्रेरणा मिली । ओम बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि विविधता में एकता ही भारत की राष्ट्रीय एकता का एकमात्र मार्ग है। शिक्षा के बारे में गुरुदेव टैगोर के दृष्टिकोण के बारे में बोलते हुए ओम बिरला ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के अनुसार शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। गुरुदेव ने सदैव अनुभव किया कि शिक्षा को व्यावहारिक बनाना आवश्यक है। शिक्षा का उद्देश्य समाज की प्रगति के लिए समाज में जागरूकता उत्पन्न करना होना चाहिए अन्यथा ऐसी शिक्षा व्यर्थ है। ओम बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा के प्रति  गुरुदेव का दृष्टिकोण वर्तमान समय में भी बहुत प्रासंगिक है ।

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रवींद्रनाथ टैगोर के विचारों और दर्शन में भारतीय मूल्यों के महत्व के बारे में बात करते हुए ओम बिरला ने कहा कि गुरुदेव ने पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन किया और भारतीय ग्रंथों, महाकाव्यों, उपनिषदों को भी पढ़ा लेकिन उन्होंने भारत के युवाओं को भारतीय संस्कृति और भारतीय मूल्य अपनाकर आधुनिक बनने का संदेश दिया। । इस संबंध में ओम बिरला ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम हमारी मूल संस्कृति है और आज भी भारत इसी भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। ओम बिरला ने कहा कि आज जब भारत “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” विषय के साथ देशों के जी-20 समूह का नेतृत्व कर रहा है, हम गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के संदेश और दर्शन को ही आगे ले जा रहे हैं।
ओम बिरला ने राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरुदेव टैगोर का दृष्टिकोण और दर्शन अत्यंत आधुनिक था और वे कहा करते थे कि “आज का युवा कल का भविष्य है”। गुरुदेव ने अपने समय की युवा पीढ़ी को देश और पूरे विश्व के कल्याण के लिए शिक्षित, अनुशासित और प्रेरित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। ओम बिरला ने युवाओं से गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के विचारों से प्रेरणा लेने और समाज में सकारात्मक योगदान देने का आग्रह किया।
इस अवसर पर, ओम बिरला ने ‘पार्लियामेंट लाइब्रेरी- ए सेंटेनियल जर्नी’ नामक पुस्तक का विमोचन किया, जिसमें पिछले सौ वर्षों के दौरान संसद ग्रंथालय की गौरवशाली यात्रा को दर्शाया गया है। ओम बिरला ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों की संसद के ग्रंथालय के संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने वाली सुविधाओं का भी उद्घाटन किया। संसद ग्रंथालय में अब ऐसी आवश्यक सहायक प्रौद्योगिकी (हार्डवेयर उपकरण और सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन) उपलब्ध है, जो दृष्टिबाधित व्यक्तियों की संसद ग्रंथालय के संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
इस अवसर पर, लोक सभा सचिवालय द्वारा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन पर हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित पुस्तिका की प्रति विशिष्टजनों को दी गई। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के चित्र का अनावरण भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा 12 सितंबर 1958 को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में किया गया था।Gurudev raveendranaath taigor jayantee

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