यमुनानगर(राहुल सहजवानी): यमुनानगर जिले को प्लाईबोर्ड हब माना जाता है और यहां करीब दो हजार के करीब प्लाईबोर्ड की फैक्ट्रियां है और इनमें ज्यादातर फैक्ट्रियों में प्लाई बनाने के लिए यूरिया खाद इस्तेमाल होता है और यह वह खाद है जो किसानों को न मिल कर सीधे प्लाई फैक्ट्रियों में सप्लाई होता है। यमुनानगर में यूरिया की बढ़ती मांग को देख कर जब इस मामले की जांच की गयी तो पता चला कि इस यूरिया का इस्तेमाल किसान नही बल्कि प्लाई फैक्ट्रियों में हो रहा है तो विभाग ने यूरिया का प्लाई फैक्ट्रियों में रोक लगाकर फैक्ट्रियों में नीम कोटिक यूरिया की जगह टेक्निकल यूरिया इस्तेमाल करने की हिदायत दी। Haryana ki taja khabre
बता दें कि यूरिया का बैग सब्सिडी मिलने के बाद महज 280 रू का ही पड़ता है, जबकि टेक्निकल यूरिया 3500 से चार हजार के करीब पड़ता है, जिसको लेकर यमुनानगर जिले में खाद की जबरजस्त कालाबजारी होती है। विभाग ने जब सख्ती की तो खाद विक्रताओ ने टेक्निकल यूरिया के बैग में नीम कोटिक यूरिया डाल कर फैक्ट्रियो में भेजना शुरू कर दिया।
बार बार खाद विक्रताओ के सैंपल लेने के बाद भी जब खाद की कालाबजारी कम नही हुई तो सेंटर से आई क्वालिटी कंट्रोल टीम ने कई जगह रेड की और सैंपल भी लिए लेकिन कई गोदाम ऐसे थे कि वहां के मालिक भी सामने नही आए और वहां पर सील लगाने के लिए ही टीम को भारी पुलिस बल मौके पर बुलाना पड़ा। गांव करेडा में किसान सेवा केंद्र के गोदाम पर टीम ने जब रेड की तो वहां गोदाम के अंदर भारी भरकम खाद और दो गाड़ियां भी खाद सप्लाई के लिए खड़ी थी।
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टीम ने बार बार गोदाम मालिक को फोन किए लेकिन मालिक ने जब फोन नही उठाया तो टीम ने मौके पर पुलिस व गांव के सरपंच को बुलाकर गोदाम को सील कर दिया। हालाँकि इस मौके पर गोदाम के मालिक ने आना भी उचित नही समझा जबकि टीम ने दरवाजे के सहारे उपर जाकर गोदाम की वीडियों ग्राफी भी की और अब विभाग इस गोदाम मालिक के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहा है।