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पहली बार ओलंपियाड जीता – प्रज्ञानानंद ने कहा, ‘‘मुझे बहुत खुशी है कि हमने पहली बार ओलंपियाड जीता है, हमने इससे पहले केवल ब्रॉन्ज मेडल जीता था। और हम दोनों कैटेगरी में जीतने में कामयाब रहे इसलिए ये हमारे लिए बहुत खास अहसास और गर्व का लम्हा है।’’उन्होंने कहा, ‘‘हम अच्छा शतरंज खेल रहे थे और इससे पता चला कि हम बेस्ट टीम हैं। ओलंपियाड अकेला ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें हम देश के लिए एक टीम के रूप में खेलते हैं।’’महिला टीम की जीत की नींव रखने वाली वैशाली ने कहा कि चेन्नई में पिछले सीजन में गोल्ड मेडल से चूकना दुखद था।
लगातार छह मैच जीते- उन्होंने कहा, ‘‘ये सुनहरा लम्हा है। पिछली बार चेन्नई ओलंपियाड में हमने ब्रॉन्ज मेडल जीता था, हम गोल्ड मेडल जीतने के इतने करीब थे लेकिन अंतिम दौर में चूक गए। ये बहुत दुखद था। मुझे खुशी है कि दोनों टीमों ने गोल्ड मेडल जीता है। ये ऐतिहासिक लम्हा है।’’वैशाली ने कहा, ‘‘हमने लगातार छह मैच जीते और फिर पोलैंड से हार गए, ये दुखद हार थी लेकिन मुझे खुशी है कि हमने वापसी की। हमने अगले मैच में अमेरिका से ड्रॉ खेला और गोल्ड मेडल जीतने के लिए हमें आखिरी दो मैच जीतने थे। मुझे खुशी है कि हमने अहम मौके पर अच्छा खेल दिखाया।’’
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कप्तान नारायणन ने दी ये प्रतिक्रिया- पुरुष टीम के कप्तान नारायणन के लिए गोल्ड मेडल सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा, ‘‘ये बहुत अच्छा लगता है कि मैं सबसे मजबूत टीमों में से एक का कप्तान था जिसने इतने असरदार अंदाज में ओलंपियाड जीता। जब ऐसा कुछ शानदार होता है तो ये आमतौर पर सालों की कोशिश का नतीजा होता है और यहां भी यही हुआ।’’
ये पीढ़ी वर्ल्ड चैंपियन है- नारायणन ने कहा, ‘‘हम कोशिश करते रहे और आगे बढ़ते रहे। हमें कई कामयाब नतीजे मिले और हम कई बार पोडियम के करीब पहुंचे।’’इस 30 साल के ग्रैंडमास्टर ने कहा कि गुकेश, अर्जुन एरिगेसी और प्रज्ञानानंद सहित खिलाड़ियों की नई पीढ़ी वर्ल्ड चैंपियन है।नारायणन ने कहा, ‘‘हम 2016 में चौथे नंबर पर आए थे लेकिन युवा खिलाड़ियों की ये पीढ़ी वर्ल्ड चैंपियन है।