लोक सभा अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया

(प्रदीप कुमार): लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने आज भोपाल में विधान सभा परिसर में मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्यों के लिए आयोजित  प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। बाद में  बिरला ने मध्य प्रदेश विधान सभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बातचीत की।मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री, डॉ. मोहन यादव; मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष, श्री नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश के मंत्री और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए  बिरला ने विधायी निकायों में अनुशासन और शालीनता में लगातार आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त की। गंभीर बहस और चर्चा के मंच के रूप में विधानमंडलों के महत्व पर ज़ोर देते हुए,  बिरला ने कहा कि सभागृह  में कुछ हद तक गर्मागर्मी, शोर-शराबा और हंगामा होना स्वाभाविक है, लेकिन अक्सर गर्मागर्म बहस से सभा में अशांति और अव्यवस्था होने से अराजकता पैदा हो जाती है जिससे समय और संसाधनों की हानि होती है और लोगों में विधानमंडलों की विश्वसनीयता कम होती है। इस बात का उल्लेख करते हुए कि नियोजित व्यवधान लोकतंत्र की भावना के लिए हानिकारक है, श्री बिरला ने कहा कि जब सभा की कार्यवाही में सदस्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पूरी निष्ठा से प्रयास किए जाते हैं, तो ऐसे में सभा की गरिमा का हनन किए जाने की घटनाओं के मामले में कड़े कदम उठाने पड़ते हैं। श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि मतभेद होने पर सभा के कामकाज में बाधा नहीं आने देनी चाहिए।

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बिरला ने कहा कि यह सुनिश्चित करना प्रत्येक विधायक की महती जिम्मेदारी है कि विधायी समय का उपयोग अधिकाधिक अनुशासन और प्रतिबद्धता के साथ और सार्थक और उत्पादक बहस के लिए ही किया जाए। बिरला ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में व्यवधान और हंगामे के कारण सभा के स्थगन की बढ़ती घटनाओं के कारण विधानमंडलों की बैठकों की संख्या के साथ-साथ उत्पादकता में भी कमी आई है।ओम बिरला ने कहा कि जनता अपने बेहतर भविष्य के लिए जन-प्रतिनिधियों पर बहुत भरोसा करती है। उन्होंने जन प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे लोगों की मांगों और अपेक्षाओं को रचनात्मक तरीके से और पूरे मनोवेग से उठाएं, न कि सभा में व्यवधान करके या फिर धरना या सत्याग्रह करके।

ओम बिरला ने कहा कि मध्य प्रदेश की जनता से नवनिर्वाचित विधायकों को मिले जनादेश से उन्हें लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और कमजोर वर्गों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए रचनात्मक प्रयास करने की जिम्मेदारी मिली  है। इसलिए उनकी आकांक्षाओं, अपेक्षाओं को पूरा करना और उनके सपनों को साकार करना विधायकों की जिम्मेदारी है। ओम बिरला ने कहा कि नियमों को उचित रूप से समझने से वे प्रभावी विधायक बनेंगे। संसद को पेपरलेस बनाने की दिशा में की गई पहल का उल्लेख करते हुए बिरला ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत की  संसद डिजिटलीकरण में दुनिया में अग्रणी है।

ओम बिरला ने प्रबोधन कार्यक्रम के आयोजन के लिए मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष, नरेंद्र सिंह तोमर को धन्यवाद दिया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विधान सभा के सभी सदस्यों, विशेष रूप से पहली बार निर्वाचित 69 सदस्यों, जो विधान सभा की कुल संख्या का 30 प्रतिशत हैं, को इस कार्यक्रम से लाभ होगा।इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री, डॉ. मोहन यादव ने ओम बिरला का स्वागत किया और कहा कि नवनिर्वाचित विधायकों के प्रबोधन के लिए लोकसभा अध्यक्ष बिरला द्वारा की गई पहल जन प्रतिनिधियों के लिए लाभकारी होगी क्योंकि वे आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार होते हैं। डॉ. यादव ने इस बात का उल्लेख भी किया कि महान ऋषि पाणिनि ने आजीवन ज्ञान प्राप्त करने और सीखने के प्रति खुद को समर्पित करके प्रशिक्षण का महत्व दुनिया को समझाया था।

मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष, नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा अध्यक्ष, बिरला का स्वागत करते हुए उन्हें एक आदर्श पीठासीन अधिकारी बताया, जो देश भर के जन प्रतिनिधियों को प्रेरणा देते हैं ।इस अवसर पर मध्य प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष, श्री उमंग सिंघार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मध्य प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य मंत्री, श्री कैलाश विजयवर्गीय ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।इस कार्यक्रम में लोक सभा महासचिव  उत्पल कुमार सिंह भी शामिल हुए।मध्य प्रदेश विधानमंडल के सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतन्त्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा मध्य प्रदेश विधान सभा सचिवालय के सहयोग से किया जा रहा है।दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, वरिष्ठ विधायक और विषय विशेषज्ञ कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे, जैसे ‘एक प्रभावी विधायक कैसे बनें’, ‘संसदीय शिष्टाचार और आचरण, बजटीय प्रक्रियाएं और संसद/विधानमंडलों में वित्तीय कार्य’ संसदीय विशेषाधिकार और आचार, ‘प्रश्नकाल, अल्पकालीन चर्चा, स्थगन, ध्यानाकर्षण, अविलंबनीय लोक महत्व के मामलों की सूचनाओं का महत्व और उपयोग; और ‘संसदीय प्रणाली में समितियों की भूमिका और कार्यप्रणाली’।

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