नवरात्रि के छठवें दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, जानिए कथा और पूजा विधि

नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। शास्त्र के अनुसार इस दिन मां की आराधना करने से मनवांछित फल मिलता है।भारत में नवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।

इन 9 दिनों में देवी के नौ मूर्तियों की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा साक्षात धरती पर 9 दिनों तक विचरण करती हैं। इन दिनों सच्चे मन से मां की आराधना करने से माता हर बाधाओं को दूर कर लेती हैं।

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। मां कात्यायनी अपने भक्तों को शक्ति प्रदान करती हैं। मां का यह स्वरूप बेहद शांत और हृदय को सुख देने वाला हैं।

आदिशक्ति होने के बावजूद मां दुर्गा को कात्यायनी का रूप क्यों लेना पड़ा क्या आप जानते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि कात्यायन देवी मां के परम उपासक थे।

एक दिन मां दुर्गा ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इनके घर पुत्री के रुप में जन्म लेने का वरदान दिया। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही देवी मां को मां कात्यायनी कहा जाता है।

मान्यता है कि मां कात्यायनी की उपासना से इंसान अपनी इंद्रियों को वश में कर सकता है। मां कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था।

इसलिए ही मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। इसके अलावा माता रानी को दानवों और असुरों का विनाश करने वाली देवी कहते हैं।

नवरात्रि के छठे दिन होने वाली मां कात्यायनी की पूजा में मधु यानी शहद को शामिल करना बिल्कुल न भूलें। मां को शहद बेहद प्रिय होता है। मान्यता है कि शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है।

 

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