sachin pilot vs ashok gehlot: राजस्थान में सचिन पायलट अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।हालांकि कांग्रेस ने इससे पहले पायलट के उपवास के फैसले पर पार्टी विरोधी बताया था। लेकिन इसके बावजूद पायलट मंगलवार यानी आज जयपुर के शहीद स्मारक में अपना अनशन शुरु कर दिया है।
पायलट का एक तीर से डबल निशाना
जहां एक तरफ पायलट अपने अनशन का स्वरुप वसुंधरा राजे के शासन में हुए घोटालों की जांच की मांग को दे रहें है, तो वहीं पायलट दूसरी तरफ अपने ही पार्टी के सीएम अशोक गहलोत और उनके पार्टी गतिविधियों के खिलाफ अनशन पर बैठे हैं, हालांकि गहलोत और पायलट के बीच का मतभेद नया नहीं हैं, कई बार इनके रिश्तों के बीच उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं।
पायलट बनाएंगे अपनी अलग पार्टी ?
पायलट और गहलोत के बीच की ये अदावत पुरानी है। कई बार पायलट ने पार्टी के विरोध में मोर्चे खोले लेकिन पार्टी आलाकमान और पार्टी के वरिष्ठ नेता दोनों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश की लेकिन शायद वो इसमें विफल रहे।
अब एसे में जानकारों की माने तो सचिन पायलट अपनी खुद की पार्टी या दल बना सकते हैं। पायलट अपने अनशन से अपनी लाईन साफ कर सकते हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो पायलट सियासी लाईन साफ करने के लिए और चुप्पी तोड़ने के लिए अनशन का रास्ता अपनाया है।
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पायलट और गहलोत की पुरानी है रार
सचिन पायलट और अशोक गहलोत बीच यह जंग 2018 के चुनाव के बाद से ही चली आ रही है। जब 2018 में चुनाव थे तब राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट थे। इस चुनाव के बाद पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी पायलट अध्यक्ष रहते हुए बीजेपी के खिलाफ पांच साल तक संघर्ष करने के बदले में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपना जता रहे थे तो वहीं अशोक गहलोत ज्यादा विधायक का अपने समर्थन में और वरिष्ठ होने का हक जता रहे थे। पार्टी ने गहलोत के ताजपोशी किया और सीएम बना दिया, वहीं पायलट समर्थकों का दावा है कि ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ। सरकार बनने के साथ गहलोत और पायलट के बीच मनमुटाव सामने आने लगे।और वो अभी तक चले आ रहें है।
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