पीएम मोदी ने शनिवार को दिल्ली में मुख्य न्यायधीशों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कोर्ट में स्थानीय भाषा के इस्तेमाल की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि इससे न्याय प्रणाली में आम नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा और वे इससे ज्यादा जुड़ाव महसूस करेंगे।
राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “हमें अदालतों में स्थानीय भाषा को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इससे न केवल न्याय प्रणाली में आम नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा बल्कि वे इससे ज्यादा जुड़ाव महसूस करेंगे।”
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प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से न्याय की डिलीवरी को आसान बनाने के लिए पुराने कानूनों को निरस्त करने की भी अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि “2015 में, हमने लगभग 1,800 कानूनों की पहचान की थी जो अप्रासंगिक हो गए थे। इनमें से केंद्र के 1,450 ऐसे कानूनों को खत्म कर दिया गया था। लेकिन, राज्यों द्वारा केवल 75 ऐसे कानूनों को खत्म किया गया है।“
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भारत स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो एक न्यायिक प्रणाली के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जहां न्याय आसानी से उपलब्ध हो, त्वरित और सभी के लिए हो। “हमारे देश में, जबकि न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक की है, विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मेरा मानना है कि इन दोनों का संगम एक प्रभावी और समयबद्ध न्यायिक प्रणाली के लिए रोडमैप तैयार करेगा।