Ramlala’s Surya Tilak: कैसे पूरी हुई रामलला के सूर्य तिलक की प्रक्रिया? जानें पूरी जानकारी

Ramlala's Surya Tilak: How was the process of Ramlala's Surya Tilak completed? Know complete information, surya-tilak-ram-mandir-ayodhya-on-ram-lalla in hindi news, aaj ki khabar

Ramlala’s Surya Tilak: राम नवमी पर अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में सूर्य तिलक देखने को मिला। सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर पड़ी। यह आयोजन बहुत अलौकिक था और साइंटिफिक रूप से भी अद्वितीय था। आकाशीय और साइंटिफिक कारणों ने इस अद्भुत प्रक्रिया पूरी हुई। आइए जानते हैं कि सूर्य की दिव्य किरणों को राम नवमी पर रामलला के माथे पर कैसे सटीक रूप से लगाने के लिए विज्ञान, इंजीनियरिंग और एस्ट्रॉनॉमी मिलकर काम किया।

Read Also: Heat Wave: भीषण गर्मी से लोगों का बुरा हाल, IMD ने जारी किया हीट-वेव का अलर्ट

रामलला का सूर्य तिलक- सूर्य तिलक में टिल्ट मैकेनिज्म, लेंस और शीशों का कमाल देखने को मिल। ऐसी बहुत सी चीजें मिलकर राम मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में सूर्य की रोशनी दिखाती हैं। आप यहां आसानी से सूरज की प्राकृतिक रौशनी और सटीक खगोलीय गणनाओं पर निर्भर परंपरा को बचाने में आने वाली चुनौती और समाधान को समझ सकते हैं। सूर्य तिलक एक योजनाबद्ध खगोलीय घटना है जहां रामनवमी के दिन रामलला के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं, जो एक दिव्य तिलक का प्रतीक हैं। इसमें शीशों और लेंस का एक कठिन सेटअप है, जो सूरज की रोशनी को रामलला के माथे पर सही समय पर पहुँचाता है। यह सेटअप सटीकता के लिए बनाया गया है।

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) ने रूड़की में एक जटिल ऑप्टिकल सिस्टम के साथ सूर्य तिलक बनाया है, जिसे अमलीजामा पहनाया गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) और बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिका भी इसमें सहयोग कर रहे हैं। जब सूरज की रौशनी एक छोटे से छेद के जरिए एक अंधेरे कमरे में प्रवेश करती है, तो लाइट बीम यानी किरण के रास्ते में धूल के कण दिखाई देने लगते हैं।

Read Also: Munak Canal : नहर में 3 दोस्त एक साथ डूबे, गोताखोरों ने निकाला शव

रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा धूल के कणों से रौशनी के टूटने से होता है। यह टिन्डल इफेक्ट कहलाता है। फिर एक कठिन ऑप्टिकल-मैकेनिकल प्रणाली का उपयोग करके इस किरण को रामलला के माथे पर फोकस किया गया है। जब दिन क्लाउडी हो या आसमान में बादल छाए हों तो क्या होगा? सिस्टम को इस घटना के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व का सम्मान करने के लिए पूरी तरह से प्राकृतिक सूर्य की रोशनी पर निर्भर करने के लिए बनाया गया है।

बादल छाए रहने वाले दिनों में सूर्य तिलक समारोह का विजुअल प्रभाव कम हो सकता है, जो सेटअप की प्राकृतिक हद को बताता है। सूर्य तिलक भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से गहरा संबंध रखता है और इंजीनियरिंग और खगोल विज्ञान में देश की क्षमता को भी दिखाता है। यह अवसर साइंस को परंपरा के साथ जोड़ता है, जो दोनों क्षेत्रों को सम्मानित करता है।

Top Hindi NewsLatest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi FacebookDelhi twitter and Also Haryana FacebookHaryana Twitter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *