अमन पांडेय : शिवसेना के निशान और नाम पर किसका अधिकार है, ये किसेक पास रहेगा ? शिवसेना के नाम और निशान को लेकर एकनाथ शिंदे और उध्दव ठाकरे गुट के बीच की लड़ाई अब भारतीय निर्वाचन आयोग यानी ईसीआई में है। ईसीआई में पार्टी के नाम और निशान को लेकर तीसरे दिन दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं। अब निर्वाचन आयोग ने दोनों पक्षों से 30 जनवरी तक अपनी दलीलें लिखित रूप में जमा करने के लिए कहा है।
निर्वाचन आयोग की ओर से दोनों पक्षों को अपनी दलीलें देने के लिए 30 जनवरी तक का समय दिए जाने के बाद अब ये माना जा रहा है कि फैसला फरवरी महीने में आ सकता है। दोनों पक्षों ने अपने दस्तावेज, सबूत और तर्कों के साथ आयोग के सामने पेश कर दिए हैं। तीन अलग अलग दिन हुई सुनवाई में निर्वाचन आयोग के सामने शुक्रवार को शिवसेना के दोनों गुट की दलीलें पूरी हो गई। निर्वाचन आयोग में शाम 4 बजे से शुरु हुई सुनवाई करीब चार घंटे तक चली। उध्दव ठाकरे गुट की तरफ से कपिल सिब्बल और देवदत्त कामत नो मोर्चा संभाला तो एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से महेश जेठमलानी और मनिंदर सिंह ने दलीले दीं। सुनवाई की बहुत अधिक डिटेल बाहर नहीं आई हैं लेकिन माना जा रहा कि कपिल सिब्बल की दलीलो पर जेठमलानी और मनिंदर सिंह ने प्रतिुत्तर यानी रिजाइंड दिए।
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निर्वाचन आयोग ने सुरक्षित रखा फैसला
इसे लेकर उद्धव ठाकरे गुट के नेता राहुल शिवाले और वकील रेवंत सोलंकी ने कहा है कि चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला रिजर्व रख लिया है। लिखित दलीलें देने के लिए 30 जनवरी तक मोहलत दी है जिसके बाद आयोग कभी भी अपना फैसला सुना सकता है। सुनवाई के दौरान ठाकरे गुट ने आयोग से कहा है कि याचिका लगाते समय उनके पास नंबर स्पष्ट नहीं थे। उनकी ओर से उसी वजह से 42 पेज की अर्जी दाखिल कर पार्टी पर अपना दावा किया गया था। ठाकरे गुट की ओर से ये भी कहा गया कि विरोधी गुट की ओर से अर्जी आने पर हमारा पक्ष भी सुना जाए, ये अपील की गई थी। वहीं, शिंदे गुट का कहना है कि सदन यानी विधानसभा में और शिवसेना संगठन ने भी उनका नंबर काफी ज्यादा है। शिंदे गुट ने उस विधान का भी जिक्र किया जिसके मुताबिक कम संख्या बल वाले अलग पार्टी बनाने के लिए आजाद हैं लेकिन मूल पार्टी पर दावा नहीं कर सकते।