Uttarkashi Tunnel- बचावकर्मियों को सोमवार को सिलक्यारा सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में ‘ड्रिलिंग’ कर मलबे के आर-पार 53 मीटर लंबी छह इंच व्यास की पाइपलाइन डालने में कामयाबी मिल गई, जिसके जरिए पिछले आठ दिनों से सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को ज्यादा मात्रा में खाद्य सामग्री, संचार उपकरण और दूसरी जरूरी वस्तुएं पहुंचाई जा सकेंगी।
इससे पहले, यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के एक हिस्से के ढहने से फंसे श्रमिकों तक आक्सीजन, हल्की खाद्य सामग्री, मेवे, दवाइयां और पानी पहुंचाने के लिए चार इंच की पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा था । दूसरी ‘लाइफ लाइन’ कही जा रही इस पाइपलाइन के जरिए अब श्रमिकों तक दलिया और खिचड़ी भी भेजी जा सकेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला और सुरंग के भीतर संचालित बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने संयुक्त रूप से मीडिया को ये जानकारी दी ।
खाल्को ने कहा कि पिछले कई दिनों से चल रहे बचाव अभियान में ये पहली कामयाबी है । उन्होंने कहा, ‘‘हमने मलबे के दूसरी ओर तक 53 मीटर की पाइप भेज दी है और श्रमिक अब हमें सुन सकते हैं और महसूस कर सकते हैं ।’’
कर्नल पाटिल ने कहा,‘‘ पहली उपलब्धि, बड़ी उपलब्धि । अगला कदम इससे ज्यादा महत्वपूर्ण और सर्वाधिक महत्वपूर्ण है-और वो है उन्हें सुरक्षित और प्रसन्न बाहर निकालना।’’ फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के दूसरे रास्तों की संभावना खोजने के लिए अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से ड्रोन और रोबोट भी मौके पर लाए गए हैं ।
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मलबे को ड्रिल किए जाने के दौरान अमेरिकी आगर मशीन के शुक्रवार दोपहर किसी कठोर सतह से टकराने के बाद क्षैतिज ड्रिलिंग रोक दी गयी थी। पहाड़ी के उपर से ड्रिलिंग करके संभवत: करीब 80 मीटर गहरे ‘वर्टिकल’ बचाव शाफ्ट के निर्माण के लिए पहली मशीन भी सुरंग तक पहुंच गई है।
बयान में कहा गया है कि पहाड़ी के उपर सड़क बना दी गयी है और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम इसके लिए और उपकरण की व्यवस्था कर रहा है । इसके अलावा, सुरंग के दूसरे छोर बड़कोट से भी ड्रिलिंग शुरू हो गयी है। सुरंग हादसे के नौवें दिन केंद्र सरकार के आग्रह पर बचाव अभियान में सहयोग करने अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी सिलक्यारा पहुंच गए और मौके पर मौजूद अधिकारियों के साथ रणनीति पर चर्चा की। डिक्स जेनेवा स्थित इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं । उन्होंने उम्मीद जताई कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। मलबे को भेदकर छह इंच का पाइप डालने में सफलता उस दिन मिली जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात कर सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी बचाव और राहत कार्यों के बारे में जानकारी ली और उनका मनोबल बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को सुरंग हादसे का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से मामले में मंगलवार तक अपना जवाब देने को कहा है। कर्नल पाटिल ने संवाददाताओं को बताया कि नई पाइपलाइन से दलिया, खिचड़ी, कटे हुए सेब और केले भेजे जा सकते हैं । उन्होंने बताया कि खाने के इन सामानों को चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बोतलों में पैक किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पाइप के जरिए मोबाइल फोन और चार्जर भी श्रमिकों तक भेजे जा सकेंगे । कर्नल पाटिल ने कहा,‘‘ इन सब बातों का श्रमिकों पर अच्छा मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा ।’’ उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या पाइपलाइन में कोई तार डाला जा सकता है जिससे श्रमिकों को देखने की संभावना बन सके। बचावकर्मी और सुरंग के अंदर फंसे हुए लोग एक दूसरे से अब भी बातचीत कर रहे हैं और श्रमिकों के रिश्तेदारों की भी उनसे बात कराई जा रही है । छह इंच व्यास का पाइप एक बड़ी कामयाबी है। एनएचआईडीसीएल के निदेशक खाल्को ने दिन में संवाददाताओं को बताया कि एक ‘एंडोस्कोपी जैसा’ कैमरा दिल्ली से जल्द आने वाला है जिसे ‘लाइफलाइन’ के जरिए अंदर भेजा जाएगा और बचावकर्मी फंसे हुए लोगों को देख सकेंगे।