सतलुज यमुना नहर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों पर जताई नाराज़गी

(अवैस उस्मानी): पंजाब हरियाणा के बीच सतलुज यमुना नहर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों पर नाराज़गी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा दोनों राज्यों को मिलकर मामले का हल निकाले। सुप्रीम कोर्ट ने कहा दोनों देश के ही राज्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले में दोनों राज्य बैठक कर हल निकाले। सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार को भी सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिया।सुप्रीम कोर्ट में मामले में चार अक्तूबर को अगली सुनवाई होगी

पंजाब हरियाणा के बीच सतलुज यमुना नहर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह मामले में मूकदर्शक नहीं रह सकता। सुप्रीम कोर्ट ने SYL विवाद मामले में पंजाब और हरियाणा के रवैया पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों को मिलकर मामले का हल निकाले।सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार को भी सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिया।बता दे इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा था हरियाणा और पंजाब राज्य सरकार के बीच बैठक के बाद भी सतलुज यमुना नहर विवाद पर कोई समाधान नही निकला। सुप्रीम कोर्ट में जल शक्ति मंत्रालय ने कहा वह इस विवाद को सुलझाने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है। केंद्र सरकार ने कहा हरियाणा और पंजाब सरकार इस मामले में समाधान निकालने के लिए है तैयार लेकिन इसके लिए दोनों राज्यों को समय देने की जरूरत है।

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पंजाब हरियाणा के बीच सतलुज यमुना नहर विवाद मामले में जल शक्ति मंत्रालय स्थिति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर कहा था। जल शक्ति मंत्रालय ने स्थिति रिपोर्ट में कहा था जनवरी में हरियाणा और पंजाब के साथ एक बैठक हुई थी और बैठक के दौरान पंजाब राज्य का विचार था कि रावी, ब्यास नदियों में सतलुज प्रणाली के आधार में पानी की उपलब्धता कम हो गई है और ऐसे में हरियाणा के साथ साझा करने के लिए कोई अतिरिक्त पानी पंजाब सरकार के पास नही है। केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा था कि पंजाब ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट (PTAA), 2004 अभी भी लागू है और अधिनियम के अनुसार हरियाणा के 3.5 एमएएफ के हिस्से में से 1.62 एमएएफ से अधिक अतिरिक्त पानी, जो अधिनियम के लागू होने की तारीख से हरियाणा को दिया जा रहा है, चूंकि ब्यास और सतलुज नदियों में हरियाणा के साथ साझा करने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है, इसलिए एसवाईएल नहर के निर्माण की आवश्यकता नहीं है।

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