सुप्रीम कोर्ट ने कहा राजनेता कानून से ऊपर नहीं, कानून सभी के लिए है बराबर

(अवैस उस्मानी): केंद्र सरकार पर CBI और ED जैसी जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली और जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी /रिमांड को लेकर नई गाइडलाइन की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस, आप, RJD समेत देश के 14 विपक्षी दलों ने याचिका दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी दलों की याचिका खारिज करते हुए कहा राजनेताओं के लिए कोई जनरल गाइडलाइन्स कोर्ट नहीं तय कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा राजनेता कानून से ऊपर नहीं है, कानून सभी के लिए बराबर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा राजनेताओं के पास कोई विशेषाधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा राजनेताओं के पास भी आम लोगों जितने ही अधिकार है।

विपक्षी दलों द्वारा केंद्र सरकार पर CBI और ED जैसी जांच एजेसियों के दुरूपयोग का आरोप वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा किसी खास केस अगर कुछ ग़लत हो रहा है तो आप उसे कोर्ट लेकर आइये तो कोर्ट उसे सुनेगा।सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई किया। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों CBI और ED का दुरुपयोग कर मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है।

 

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सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि सजा की दर भारत में कम है

14 राजनीतिक दलों की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखते हुए कहा कि 885 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई,  वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी और सीबीआई के मामलों 6 गुना बढ़ोत्तरी हुई जबकि 23% में ही सजा हुई है। सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि सजा की दर भारत में कम है। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि साफ तौर पर 95% मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ बनाए जा रहे हैं। सिंघवी ने कहा कि 124 मामलों में 118 विपक्षी दलों के खिलाफ मामले दर्ज किये गए हैं।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून देश के सभी नागरिकों के लिए बराबर है ऐसे में हम किसी भी जांच एजेंसी को यह नहीं कह सकते हैं कि इस पूरे मामले में किसी भी नेता को कोई संरक्षण दिया जाए अगर किसी भी नेता या व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है तो उसके लिए अदालतें हैं लेकिन इस पूरे मामले में या नेताओं के पूरे मामले में कोई भी दिशानिर्देश बनाने का आदेश जारी नहीं कर सकते हैं क्योंकि कानून सबके लिए बराबर है।

मामले की सुनवाई के दौरान वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 2014 से 2022 तक ईडी ने 121 राजनीतिक नेताओं की जांच की गई है, जिनमें से 95% विपक्ष से हैं। सीबीआई ने 124 मामलों में नेताओं की जांच किया जिसमें से108 विपक्ष में हैं। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा आपके आंकड़े अपनी जगह सही है लेकिन क्या राजनेताओं के पास जांच से बचने का कोई विशेषाधिकार है आखिर राजनेता भी देश के नागरिक ही है।

राजनेता ही मुकदमा का सामना कर रहे हैं

CJI ने कहा कि यह एक या दो पीड़ित व्यक्तियों की दलील नहीं है, यह 14 राजनीतिक दलों की दलील है, क्या हम कुछ आंकड़ों के आधार पर कह सकते हैं कि जांच से छूट होनी चाहिए? विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह भावी दिशा-निर्देश मांग कर रहे है, यह कोई जनहित याचिका नहीं है, बल्कि 14 राजनीतिक दल 42 प्रतिशत मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और अगर वह प्रभावित होते हैं, तो लोग प्रभावित होंगे। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा इस मामले में कैसे माना जाए कि यह एक लोकतंत्र है जहां पर राजनेता ही मुकदमा का सामना कर रहे हैं।

 

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