UNESCO: नवाबों का शहर लखनऊ, यहां आने-वाले पर्यटकों को हर बार मुस्कुराने के लिए आमंत्रित करता है। इस हफ्ते शहर को एक और नयी पहचान मिली है, जब यूनेस्को ने अवध की पूर्व राजधानी को ‘रचनात्मक पाककला का शहर’ घोषित किया।लखनऊ के लोगों के लिए, ये मान्यता अवधी पकवानों की विविधता के लिए एक बड़ा सम्मान है, मुंह में घुल जाने वाले कबाब से लेकर अवधी केसर बिरयानी, छोले और मिठाइयों की बहुत बड़ी कतार है।यहां के लोगों के लिए, ये पहचान कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उनका कहना है कि ये शहर की खाने-पीने की संस्कृति की समृद्ध विरासत को दिखाता है।UNESCO
Read also- Bihar: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार बोले- निर्वाचन आयोग हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं…
लखनऊ की खाने-पीने की विरासत के केंद्र में टुंडे कबाब, बिरयानी और मशहूर चाट हैं, जिनमें से कई पीढ़ियों से स्वादिष्ट व्यंजन परोसते आ रहे हैं।खाने के शौकीनों और अवधी जायकों के असली स्वाद का लुत्फ उठाने के लिए लखनऊ एक बेहतरीन जगह है।कई लोग तो यहां स्वाद और परंपरा का जश्न मनाने आते हैं।UNESCO
Read also-Karnataka: बेंगलुरू में रफ्तार का कहर, एंबुलेंस की चपेट में आने से दंपति की दर्दनाक मौत
कुछ लोगों के लिए, यहां सिर्फ स्थानीय खाने का स्वाद ही नहीं है, बल्कि शहर की गर्मजोशी लोगों को सचमुच आकर्षित करती है।लखनऊ की समृद्ध खाने-पीने की संस्कृति को 31 अक्टूबर को नयी पहचान मिली, जब यूनेस्को ने लखनऊ समेत 58 शहरों को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में नये सदस्य के रूप में शामिल किया। इसमें अब 100 से ज्यादा देशों के 408 शहर शामिल हैं।UNESCO
