(प्रदीप कुमार)- कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी से अपनी निकटता के चलते घपले करने वाला पेटीएम फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा बार-बार बचता रहा। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि विजय शेखर शर्मा ने लाइसेंस मिलते ही घपले करने शुरू कर दिए, इस कारण आरबीआई ने इन्हें बार-बार दंडित भी किया। इसके बाद भी प्रधानमंत्री मोदी पेटीएम का प्रचार-प्रसार करते रहे। यह बातें कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने नई दिल्ली में संसद भवन के बाहर विजय चौक पर पत्रकारों से बातचीत में कहीं।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 31 जनवरी को आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट बैंक को 29 फरवरी के बाद कोई भी बैंकिंग गतिविधि करने से रोक दिया है। ऐसा नहीं है कि पेटीएम पर अचानक गाज गिरी है, रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2017 में लाइसेंस मिलने के एक साल बाद ही घपले और अनियमितताएं सामने आनी लगीं थीं, जिसके बावजूद प्रधानमंत्री कंपनी का प्रचार-प्रसार कर रहे थे। आरबीआई ने कई बार पेटीएम पेमेंट बैंक और पेटीएम के बीच ट्रांजेक्शन डाटा ट्रैफिक को लेकर चिंता जताई, लेकिन विजय शेखर शर्मा ने कोई कदम नहीं उठाया। पेटीएम ने नियम-कानून की खूब धज्जियां उड़ाईं। उन्होंने कहा कि पेटीएम पर आरबीआई की कार्रवाई की एक बड़ी वजह उसमें चीनी निवेश का होना और उसका चीन के साथ डेटा शेयर करना भी बताई जा रही है। इसके पहले पेटीएम पर अपने उपभोक्ताओं का डाटा भाजपा के साथ साँझा करने जैसे आरोप भी लग चुके हैं।
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सुप्रिया श्रीनेत ने याद दिलाया कि नोटबंदी के कुछ ही घंटों में पेटीएम के यूजर्स में 435 प्रतिशत उछाल आया था और वो सिलसिला थमा ही नहीं। नोटबंदी के दो दिन बाद 10 नवंबर 2016 को देश के बड़े अखबारों में पीएम मोदी की तस्वीर के साथ पेटीएम फुल कवर विज्ञापन देता है। इस विज्ञापन में नोटबंदी को मजबूत निर्णय बताते हुए पीएम मोदी की तारीफ की गई थी। यही पेटीएम पीएम मोदी पर बनी फिल्म की टिकट पर 200 रूपये तक का कैशबैक दे रहा था, जिसका प्रचार मोदी जी चुनावी रैली में भी कर रहे थे। फोटो दिखाते हुए श्रीनेत ने कहा कि पीएम मोदी के साथ सेल्फी लेने वाले शख्स का नाम पेटीएम का फाउंडर विजय शेखर शर्मा है। जिस नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया, उस नोटबंदी को पेटीएम ने हमेशा जश्न की तरह मनाया और अपना आईपीओ भी 8 नवंबर 2021 को ही लॉन्च किया।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस पूरे मामले से एक बार फिर बहुत सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या पीएम मोदी के साथ मधुर संबंधों के चलते उनके चहेते उद्योगपति क़ानून को ताक पर रख के काम करते हैं। इतने सारे उल्लंघनों के बाद भी पेटीएम पेमेंट बैंक को इतनी लंबी ढील क्यों दी गई। मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आक्षेप पर ईडी ने अब तक क्या कार्यवाही की।पेटीएम ने भाजपा और पीएम केयर्स फंड में कितना चंदा दिया। क्या पेटीएम उस चंदे और मोदी से संबंधों के कारण अब तक बचता रहा। पहले अडानी और अब यह, बार बार मोदी के चहेतों के खिलाफ एजेंसियां शिथिल क्यों पड़ जाती हैं। क्या ईडी 95 प्रतिशत मामले राजनीतिक लोगों के खिलाफ षड्यंत्र रचकर संतुष्ट है। क्या पेटीएम के उपभोक्ता का डाटा गोपनीय है या यह भाजपा को क्या लीक हुआ है।