West Asia: ईरान-इजराइल संघर्ष पर भारत में जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने सोमवार 15 अप्रैल को कहा कि मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने की आशंका साफ है। उन्होंने आगाह किया कि समय की मांग है, तनाव कम किया जाए और हर क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए रास्ता और हर संभावना तलाशनी होगी। वो इजराइल पर ईरान के पहले सीधे हमले के दो दिन बाद दिल्ली में एक निजी विश्वविद्यालय की तरफ से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
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कार्यक्रम से इतर एकरमैन ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले वीकेंड जब ईरान ने इजराइल पर हमला किया, हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं। लेकिन अब मुझे लगता है कि तनाव कैसे बढ़ाया जाए, इसकी जगह तनाव कैसे कम किया जाए इस पर विचार करना चाहिए। ये पूछे जाने पर कि क्या वर्तमान स्थिति को देखते हुए पश्चिम एशिया क्षेत्र में तनाव कम करना संभव है? राजदूत ने कहा, मुझे लगता है कि ये संभव है और हमने डॉ. एस जयशंकर को इजरायली विदेश मंत्री और ईरानी विदेश मंत्री को फोन करते देखा है। हमारे विदेश मंत्री ने कहा है दोनों विदेश मंत्रियों से बात की और हम इस प्रक्रिया में तर्क लाने की पूरी कोशिश करेंगे। जर्मन दूत की टिप्पणी जी7 नेताओं की तरफ से इजरायल के खिलाफ ईरान के प्रत्यक्ष और अभूतपूर्व हमले की कड़े शब्दों में निंदा करने के एक दिन बाद आई है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की तरफ से शुरू किए गए उनके बीच एक कॉन्फ्रेंस कॉल के बाद बयान में जी7 नेताओं ने संयुक्त रूप से कहा, अपने कार्यों से ईरान ने क्षेत्र को अस्थिर करने की दिशा में कदम बढ़ाया है और अनियंत्रित क्षेत्रीय तनाव भड़कने का खतरा उठाया है। इससे बचा जाना चाहिए। हम स्थिति को स्थिर करने और आगे तनाव से बचने के लिए काम करना जारी रखेंगे। अमेरिका, इटली, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा से बने जी7 समूह ने भी इजराइल और उसके लोगों के लिए पूर्ण एकजुटता और समर्थन जताई है। इस कार्यक्रम की मेजबानी ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने की थी।