Patanjali Case Supreme Court: भ्रामक विज्ञापन के मामले में बिना शर्त माफी के योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के हलफनामे स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की बेंच ने सुनवाई में कहा कि वो इस मामले में नरमी बरतना नहीं चाहते।
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पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कोई कदम ना उठाने पर अदालत ने उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी को लताड़ भी लगाई। पतंजलि आयुर्वेद के प्रॉडक्ट के फायदों के बारे में विज्ञापन में बड़े बड़े दावे किये गए थे, जिस पर रामदेव और बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगी थी। बीते साल 21 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दर्ज बयानों के उल्लंघन के मामले में रामदेव और बालकृष्ण ने दो अलग अलग हलफनामों के जरिए बिना शर्त माफी मांगी है।
दवाईयों के भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 10 अप्रैल को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दोनों ने बिना शर्त माफी मांग ली।हालाकि अदालत ने बाबा रामदेव की और से दिए गए हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया । सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने कहा हलफनामा हमारे सामने आने से पहले मीडिया में प्रकाशित हो गया था ।
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21 नवंबर 2023 के आदेश में अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद की नुमाइंदगी कर रहे वकील ने भरोसा दिया था कि आइंदा वो किसी कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे। खासकर अपने प्रॉडक्ट के बारे में और दूसरे किसी भी मेडिसिन सिस्टम के बारे में मीडिया को किसी भी रुप में कोई कैजुअल बयान नहीं देंगे।