अवैस उस्मानी: जोशीमठ आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार क़िया। सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले को सुनवाई के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी बात रखने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जोशीमठ का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में लंबित है, जिस पर हाईकोर्ट ने आदेश भी दिया है। ऐसे में हम याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने का निर्देश देते हैं। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा हो ऐसे में जो मांगे यहाँ याचीका में वो हाई कोर्ट में भी की जा सकती है। ऐसे में हम याचिकर्ता को इजाजत देते है कि वो हाई कोर्ट जाए। हाई कोर्ट लंबित याचीका के साथ इनकी याचीका ओर सुनवाई करे।
मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने कहा बताया इसी तरह की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की गई है, उत्तराखंड हाईकोर्ट की मामले में सुनवाई कर रहा है। उत्तराखंड सरकार ने कहा मामले में केंद्र और राज्य सरकार नज़र बनाये हुए है। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाई कोर्ट में दाखिल याचीका में कहा गया कि 7 फरवरी 2021 को ग्लेशियर गिरने की वजह से आपदा की शुरुवात हुई थी। राज्य के अलग अलग हिस्सों में नुकसान हुआ था। हाई कोर्ट में याचिकर्ता ने हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट पर रोक की मांग की है। उत्तराखंड में सभी जगह। एक्सपर्ट कमिटी की गठन की मांग की गई है। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब उत्तराखंड हाईकोर्ट सुन रही है तो देखना होगा कि यहां सुनवाई का औचित्य है या नहीं।
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उत्तराखंड के जोशीमठ में धरती के धंसने का मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दखिल की गई है, ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया था। याचिका में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के साथ उनको आर्थिक मदद मुहैया कराने का भी आदेश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जोशीमठ क्षेत्र की जनता के जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भूस्खलन, भू-धंसाव, भूमि फटने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए उसे राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में घोषित कर त्वरित और कारगर कदम उठाने का आदेश केंद्र और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को देने की मांग की गई। याचिका में सरकार को निर्देश देने की मांग की गई कि तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना के टनल के निर्माण कार्य को तत्काल बंद करें, तब तक इसे बंद रखा जाए जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित भूवैज्ञानिकों, जल विज्ञानियों एवं इंजीनियरों की उच्च स्तरीय समिति का गठन हो और वह उत्तराखंड राज्य में किसी भी प्रकार के विकास और निर्माण कार्य के लिए गाइडलाइन तैयार ना कर लें।