केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में अब पांच नवंबर को भारतीय किसान यूनियन ने पूरे देश में नेशनल हाई–वे जाम करने का एलान कर दिया है।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने चेतवानी दी है कि सरकार किसानों के खिलाफ जितने मर्जी मुकदमे दर्ज कर ले लेकिन किसानों का आंदोलन दबेगा नहीं। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार किसानों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है। उन्होंने सरकार से हरियाणा के नारायणगढ़–शहजादपुर के नजदीक भारतीय जनता पार्टी की ट्रैक्टर किसान रैली के दौरान हुई किसान की मौत के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया, भाजपा सांसद नायब सैनी और अन्य आयोजकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की मांग की है।
कुछ समय पहले ही केंद्र की मोदी सरकार ने संसद में किसानों से जुड़े तीन बिल पास करवाए हैं। जिनपर राष्ट्रपति ने भी साइन कर दिए हैं और अब यह तीनों बिल कानून बन चुके हैं। इन बिलों के विरोध में तमाम अपोज़ीशन पार्टियां और किसान विरोध कर रहे हैं। पहले बिल में केंद्र सरकार ने किसानों को अपनी फसल मुल्क में कहीं बेचने के लिए आज़ाद किया है। साथ ही एक राज्य के दूसरे राज्य के बीच कारोबार बढ़ाने की बात भी कही गई है। इसके अलावा मार्केटिंग और ट्रांसर्पोटेशन पर भी खर्च कम करने की बात कही गई है। दूसरे बिल में सरकार ने कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रोविज़न किया है। यह बिल कृषि पैदावारों की बिक्री, फार्म सर्विसेज़, कृषि बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों को जुड़ने के लिए मजबूत करता है। कांट्रेक्टेड किसानों को क्वॉलिटी वाले बीज की सप्लाई यकीनी करना, तकनीकी मदद और फसल की निगरानी, कर्ज की सहूलत और फसल बीमा की सहूलत मुहैया कराई गई है और तीसरे और आखिरी बिल में अनाज, दाल, तिलहन, खाने वाला तेल, आलू–प्याज को जरूरी चीजों की लिस्ट से हटाने का प्रोविजन है।
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