प्रदीप कुमार – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश कर दिया। आम बजट पेश करने के 1 दिन पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कई अहम जानकारियां सामने आयी हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दुनियाभर में मंदी की आहट के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में 6.5% बनी रहेगी। हालांकि, यह मौजूदा वित्त वर्ष के 7% और पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 के 8.7% के आंकड़े से कम है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में विकास दर कम रहने का अनुमान जताया गया है, लेकिन इसके बावजूद भारत विश्व में सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं वाले प्रमुख देशों में शामिल रहेगा।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि कोरोना के दौर के बाद दूसरे देशों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी तेज रही है। घरेलू मांग और पूंजीगत निवेश में बढ़ोतरी की वजह से ऐसा हो पाया है। हालांकि, सर्वेक्षण में ये चिंता जताई गई है कि चालू खाता घाटा बढ़ सकता है क्योंकि दुनियाभर में कीमतें बढ़ रही हैं। इससे रुपये पर दबाव रह सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यूएस फेडरल रिजर्व अगर ब्याज दरों में इजाफा करता है तो रुपये का अवमूल्यन हो सकता है। कर्ज लंबे वक्त तक महंगा रह सकता है।
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आर्थिक सर्वेक्षण में महंगाई पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि महंगाई पर लगाम लगाने की चुनौती अब भी बरकरार है। रूस यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा गया है किद यूरोप में जारी संघर्ष के कारण यह स्थिति बनी हुई है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मायने-
आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति की जानकारी देने और नीतिगत ‘नुस्खे’ सुझाने के लिए केंद्रीय बजट से एक दिन पहले संसद में किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण आसान शब्दों में देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का लेखा-जोखा होता है। सरकार इस दस्तावेज के जरिए बताती है कि देश की अर्थव्यवस्था किस स्थिति में है। केंद्र सरकार की योजनाएं कितनी तेजी से आगे बढ़ रही हैं, जबकि पूरे साल विकास का क्या ट्रेंड रहा। किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ।
कौन करता है आर्थिक सर्वेक्षण तैयार-
बजट से एक दिन पहले संसद में आने वाली आर्थिक सर्वेक्षण पर सबकी नजर होती है, जिसमें आगामी वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुमान होता है। इस सर्वेक्षण को देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के नेतृत्व वाली टीम तैयार करती है। इस टीम में CEA के साथ वित्त और आर्थिक मामलों के जानकार भी शामिल रहते हैं।
बहरहाल वैश्विक अनिश्चितताओं, अमेरिका और यूरोप में मंदी के मंडराते खतरे के बीच वित्त मंत्री सीतारमण एक फरवरी को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी। आर्थिक सर्वेक्षण के बाद अब इस आम बजट पर तमाम निगाहें लगी है।