(अजय पाल) – दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू को गांधीनगर की एक अदालत से भी बड़ा झटका लगा है। गांधीनगर की अदालत ने महिला शिष्या से दुष्कर्म के मामले में आसाराम बापू को दोषी माना है। आसाराम पर यह केस 2013 में दर्ज किया गया था। अदालत के न्यायाधीश डीके सोनी ने सजा सुनाते हुए अपना आदेश मंगलवार 31 जनवरी के लिए सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने सबूतों के अभाव में आसाराम की पत्नी समेत अन्य छह आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया।
यहां ये जानना जरूरी है कि पहले से ही आसाराम बापू बलात्कार के एक दूसरे मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है. इस समय वो जोधपुर की जेल में ही बंद है। इस मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी व बेटी भारती और अन्य चार महिला को भी दोषी माना गया था । इस बार आसाराम को वर्चुअली रुप से कोर्ट में पेश किया गया था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने आसाराम को दोषी तो माना पर सजा नहीं सुनाई। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि कल आसाराम की सजा को लेकर फैसला सुनाया जाएगा। पिछले साल नवंबर के महीने में सुप्रीम कोर्ट में आसाराम ने की एक जमानत याचिका की अर्जी लगाई थी। उस समय आसारामने कहा था कि बढ़ती उम्र व खराब स्वास्थ्य रहने का कारण उसे जमानत मिलनी चाहिए।
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पहले भी लगे हैं आसाराम पर संगीन आरोप
यह घटना 2008 की बतायी जा रही है। आसाराम के मोटेरा गुरुकुल में पढ़ने वाले दो बच्चों की आश्रम में संदिग्ध रूप से मौत हो गई थी। उस समय भी आसाराम पर तंत्र-मंत्र के चक्कर में आकर इन बच्चों की हत्या करने का आरोप लगा था। क्या था मामला जिसमे आसाराम को दोषी माना गया। सूरत की एक महिला ने अक्टूबर 2013 में आसाराम बापू और सात अन्य लोगों के खिलाफ बलात्कार और अवैध रूप से बंधक बनाने का मामले में केस दर्ज कराया था। एक आरोपी की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। ऐसा बताया जाता है कि आसाराम बापू ने 2001 से 2006 के बीच पीड़ित महिला से अनेक बार दुष्कर्म किया था।