(अवैस उस्मानी)-महिला पहलवनों से यौन शोषण के मामले में आरोपी भाजपा सांसद और कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप तय करने पर सुनवाई टल गई राउज़ एवेन्यु कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे जज ACMM हरजीत सिंह जसपाल की अनुपलब्धता के चलते मामले की सुनवाई टल गई। राउज़ एवेन्यु कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी। पिछली सुनवाई में मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील अतुल श्रीवास्तव ने दलील रखते हुए कहा था कि बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दिल्ली पुलिस ने कहा कि जिन धाराओं के तहत पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है उन्ही धाराओं के तहत बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय किया जाए।
महिला पहलवनों से जुड़े यौन शोषण के मामले में राउज़ एवेन्यु कोर्ट में स्पेशल जज हरजीत सिंह जसपाल की अदालत में पिछली सुनवाई के दौरान वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि मामले में कोर्ट ने सभी आरोपो पर संज्ञान लिया है और चार्जशीट पर संज्ञान लेने को चुनौती नहीं दी गई है वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा जिन मामलों में अधिकतम सज़ा 3 साल होती है उसमें जांच की समय सीमा तय नहीं होती है, ऐसे मामलों में जांच शिकायत मिलने पर कभी भी की जा सकती है। वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान बृजभूषण के वकील ने कहा था कि गले लगाना यौन शोषण के दायरे में नहीं आता है, यह सिर्फ गले लगाने भर का मामला नहीं है, मंशा के ऊपर निर्भर करता है।
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राउज़ एवेन्यु कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि एक शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि मंगोलिया में जब ओलंपिक क्वालिफिकेशन के लिए गए वहां पर डिनर के समय बृजभूषण सबसे अलग एक टेबल पर बैठे वहां पर मुझको बुलाया गया और बृजभूषण ने मेरी छाती तो छुआ और अपना हाथ मेरे पेट तक ले गए उसके बाद दुबारा मेरी छाती को छुआ क्या यह यौन शोषण के दायरे में नहीं आता है। पिछली सुनवाई के दौरान बृजभूषण के वकील ने कहा कि महिला पहलवान को एक इवेंट के दौरान गले लगाते समय बृजभूषण की मंशा उनका यौन शोषण करने की नही थी। बृजभूषण के वकील राजीव मोहन ने कहा कि CrPc के तहत किसी भी अपराध पर संज्ञान लेने की एक समय सीमा होती है। बृजभूषण के वकील राजीव मोहन ने कहा कि बलात्कार, छेड़छाड़, यौन शोषण के अपराध लगातार होने वाले अपराध नहीं है, उनमें आरोप तय करने की समय सीमा निश्चित है बृजभूषण के वकील ने कहा कि अलग अलग राज्यों या दूसरे देश में हुई किसी घटना इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।