Health: आज के समय में ज्यादातर लोगों का शेड्यूल काफी बिजी होता है, जिसके कारण वे लोग प्रायोरिटी लिस्ट में सिर्फ उन्हीं कामों को रखते हैं जो उन्हें जरूरी लगते हैं। इसी कारण से ना तो अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं और ना ही मानसिक। जिस वजह से वे लोग काफी जल्दी स्ट्रेस के शिकार हो जाते हैं। शुरुआती समय में तो हमें यह सब काफी मामूली लगता है लेकिन अगर समय रहते इस पर ध्यान ना दिया जाए तो यह एक गंभीर समस्या खड़ी कर सकता है। स्ट्रेस काफी समय तक बने रहने की स्थिति में एंग्जाइटी का रूप धारण कर लेता है, जिसके बाद यह डिप्रेशन में तब्दील हो जाता है।
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क्या होता है स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन में अंतर ?
अगर हम डिप्रेशन की स्थिति को समझना चाहते हैं तो हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि आखिर ये शुरू कैसे होता है? जब हम छोटी-छोटी चीजों की चिंता करने लग जाते हैं, चाहे वह जरूरी हो या ना हो। उस स्थिति को स्ट्रेस कहते हैं जो सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। जब यह सिचुएशन लगातार बनी रहती है तो यह एंग्जाइटी का रूप धारण कर लेती है। इसका असर व्यक्ति के स्वभाव पर साफ तौर पर देखने को मिल जाता है। एंग्जाइटी की चपेट में आया हुआ इंसान का स्वभाव काफी डरा हुआ और चिड़चिड़ा सा रहता है, जिस वजह से वह इंसान अपने मन के अंदर ही एक संग्राम से जूझ रहा होता है। एंग्जाइटी का भी अगर समय रहते कोई समाधान ना निकाला जाए तो यह डिप्रेशन का रूप ले लेता है। जो एक गंभीर समस्या है, जिसमें मनुष्य की सोचने, समझने और कार्य करने की क्षमता में नकारात्मकता आ जाती है।
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एंग्जाइटी से क्या हो सकती है समस्याएं ?
एंग्जाइटी ना केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य को खराब करती है, बल्कि इससे हमें सांस संबंधी समस्याएं भी होने लगती है। इसकी वजह से व्यक्ति के सांस लेने का पैटर्न बदल जाता है। जिसकी वजह से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इस बदलते पैटर्न की वजह से मस्तिष्क में रक्त पूरी तरह से नहीं पहुंच पाता और मनुष्य को चक्कर आने लगते हैं। एंग्जाइटी के कारण मनुष्य के पेट में दर्द, ऐंठन, ब्लोटिंग और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती है, इसलिए कभी भी एंग्जाइटी को नजरअंदाज ना करें। इसका असर हमारी इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है। जब आपका शरीर लगातार तनाव और चिंता से गुजरता है तो उस स्थिति में वापस आना मुश्किल हो जाता है। लगातार दबाव के कारण बीमारियों और वायरल संक्रमण का खतरा बना रहता है।
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