विदेशी फलों और ड्राई फ्रूट्स से अतिरिक्त टैक्स हटाने के फैसले पर राजनीति गरमाई, हिमाचल और जम्मू कश्मीर के किसान परेशान

विदेशी फलों और ड्राई फ्रूट्स से अतिरिक्त टैक्स हटाने के फैसले पर राजनीति गर्माई, हिमाचल और जम्मू कश्मीर के किसान परेशान अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम के आयात पर लगने वाली एडीशनल रिटेलेटरी ड्यूटी हटाने पर राजनैतिक युद्ध छिड़ गया है। विपक्ष का दावा है कि इससे हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के किसानों को काफी नुकसान होगा।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत  ने कहा कि मेजबान हो तो नरेंद्र मोदी जी जैसा। अमेरिका के राष्ट्रपति हिंदुस्तान आते हैं अपने वाशिंगटन एप्पल पर अम्पोर्ट ड्यूटी 15 प्रतिशत मात्र 15 प्रतिशत आ जातीहै, घट जाती है और अपने किसानों के लिए बो बहुत बड़ा तोहफा वापस लेकर चले जाते हैं। हमारे किसानों पर मोदी जी चाबूक चलाएंगे और अमेरिकी किसानों को बड़ा तोहफा देंगे। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार से फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है। उन्हें आशंका है कि जम्मू कश्मीर के बागवानी उद्योग पर इसका खराब असर पड़ सकता है।

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पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने कहा कि प्राइम मिनिस्टर साहब बार-बार कहते हैं कि मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया, स्टार्टप इंडिया कि इंडिया को खुद काबिल बनाना है और आत्मनिर्भर बनाना है तो जब यहां कि चीज जो पैदा होती है, जब आप उसी को बर्बाद करना चाहते हो तो फिर कौनसी आत्मनिर्भरता होगी, इसमें कौनसा मेड इन इंडिया और मेक इन इंडिया होगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी केंद्र से फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार को विदेशियों को खुश करने के बजाए देश के लोगों पर ध्यान देने की कोशिश करनी चाहिए।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जो सेब के उत्पादक है, प्रोड्यूसर हैं न तो उनको कोई फर्क पड़ेगा, न उनके अत्पादन पर फर्क पड़ेगा और न उनके दाम पर फर्क पड़ेगा। यहीं है कि भारत के उपभोक्ताओं के लिए च्वाइस बढ़ जाएगी। पहले दूसरे देशों से आता था अब वहीं चीज अमेरिका से भी आएगी। उनकी स्पर्धा में देश को लाभ होगा। हालांकि सरकार के इस फैसले ने कश्मीर के अखरोट और बादाम उत्पादकों और खुदरा विक्रेताओं की चिंता बढ़ा दी हैै। उन्हें लगता है कि इससे उन पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।

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ड्राई फ्रूट विक्रेता सुहैल अहमद  का कहना है कि वो वहां से लाएंगे, अमेरिका लाएंगे वो जो उनका रेट है वो कम हो जाएगा तो वो तो जाहिर है कि असर पड़ेगा यहां कि इकोनॉमी पर और यहां कि इंडस्ट्री पर असर पड़ेगा। बहुत सारे लोग रिटेलर से, होलसेलर से, जो लोग इसमें बहुल इनवोल्व है तो काफी असर पड़ेगा उन पर।हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों को भी लगता है कि ये कदम उद्योग के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

संयुक्त किसान मंच हरीश चौहान का कहना है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर किसानों, बागवानों के लिए जो है इंपोर्ट ड्यूटी जो वाशिंगटन सेब पर 70 रुपये लगती थी जिसका निरणय तो सरकार ने पहले ही कर दिया था लेकिन इसको पूरी तरह से जो है अब वापर करके अब वापस करके उसके सबसे बड़ा नुकसान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर के बागवानों को निश्चित तौर पर होने वाला है।फल व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि खराब मौसम की वजह से इस साल वे पहले ही मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में सरकार का ये फैसला उनकी मुश्किलें बढ़ा सकता है।

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