दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में मणिपुर हिंसा पर हुई चर्चा,भाजपा के विधायकों ने चर्चा में नहीं लिया हिस्सा

दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान गुरुवार को सदन में मणिपुर हिंसा को लेकर चर्चा हुई। इस चर्चा में भाजपा के विधायक हिस्सा न लेकर सदन से बाहर चले गए। सीएम अरविंद केजरीवाल ने मणिपुर हिंसा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज मणिपुर जल रहा है। वहां दो समुदाय एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। महिलाओं के साथ ग़लत व्यवहार हो रहा है और निर्वस्त्र कर घुमाया गया। अगर देश के लोग ऐसे ही आपस में लड़ते रहे तो भारत विश्वगुरु कैसे बनेगा? मणिपुर में 6500 एफआईआर व 150 लोगों की हत्याएं हुई हैं, 60 हजार लोग बेघर हो गए हैं, फिर भी प्रधानमंत्री चुप हैं। सीएम ने कहा कि दिल्ली भाजपा के विधायक कह रहे हैं कि मणिपुर से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल भाजपा विधायकों की ही सोच नहीं है, बल्कि पीएम मोदी भी ऐसा ही सोचते हैं। पिछले 9 सालों में देश के उपर जब भी कोई आपदा आई, प्रधानमंत्री ने चुप्पी साध ली। इसलिए अब देश लोग पूछ रहे हैं कि क्या मोदी जी एक कमजोर, अहंकारी और भ्रष्ट प्रधानमंत्री है? मणिपुर को लेकर पूरी दुनिया में भारत की थू-थू हो रही है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री चुप हैं अरविंद केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में गुरुवार को मणिपुर हिंसा पर विशेष चर्चा हुई। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि मणिपुर में घटित घटनाएं बहुत दर्दनाक हैं। साथ ही, इससे ज्यादा दर्दनाक भाजपा के विधायकों द्वारा सदन से बाहर जाकर न्यूज चैनलों को बयान बाइट देना है, जिसमें वो कह रहे हैं कि मणिपुर से हम लोगों का कोई लेना-देना नहीं है, मणिपुर उनके लिए कोई विषय नहीं है। जब मणिपुर के लोग ये देख रहे होंगे कि भाजपा के दिल्ली के विधायक ये कह रहे हैं कि मणिपुर से उनका कोई लेना-देना नहीं है तो उनके दिल पर क्या गुजर रही होगी? ऐसा केवल भाजपा के कुछ विधायक ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि उपर से नीचे तक पूरी की पूरी सरकारें और भाजपा के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश है कि मणिपुर से उनका कोई लेना-देना नहीं है। जबसे मणिपुर में घटना घटी, तभी से प्रधानमंत्री चुप हैं। मणिपुर में 3 मई से 31 जुलाई के बीच 6500 एफआईआर हो चुकी हैं, 4 हजार लोगों के घर जला दिए गए, 60 हजार लोग बेघर हो गए, 150 से ज्यादा लोगो की मौत हो गई, 350 धार्मिक स्थल जला दिए गए, लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे। केंद्रीय फोर्सेज, आसाम रायफल और मणिपुर पुलिस के बीच खुलेआम झगड़ा और गोलाबारी हो गई। ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ। पूरी दुनिया में भारत की थू-थू हो रही है, यूरोपियन पार्टियामेंट और अमेरिका में मणिपुर की चर्चा हुई, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री चुप रहे। एक दिन जब मणिपुर का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें देखा गया कि हमारी दो बहनों को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया गया और सारेआम कई लोगों ने मिलकर उनके साथ गलत काम किया, तब भी प्रधानमंत्री चुप रहे जब सारे सिस्टम फेल हो जाते हैं, तब लोग उम्मीद करते हैं कि उनका प्रधानमंत्री उनको बचाएगा।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश का प्रधानमंत्री सबके लिए पिता के समान होता है। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह का कहना है कि यह अकेला मामला नहीं है, यहां तो ऐसा रोज हो रहा है। लोग प्रधानमंत्री को रोज याद नहीं करते हैं। लोग प्रधानमंत्री को तब याद करते हैं, जब सारे सिस्टम फेल हो जाते हैं। तब लोग उम्मीद करते हैं कि उनका प्रधानमंत्री उनको बचाएगा। जिन महिलाओं को खुलेआम निर्वस्त्र कर सडक पर घुमाया गया और गलत काम किया गया, उनके लिए सबकुछ फेल हो गया था। वो तो हमारे देश की बेटियां हैं और पद व उम्र के हिसाब से प्रधानमंत्री तो पिता समान हैं। अगर बेटियों की सरेआम इज्जत लुट रही हो और पिता कहे कि मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं तो बेटियां कहां जाएंगी? मणिपुर के एक रिटायर्ड आर्मी आफिसर की एक वीडिया देखा। वो कभी प्रधानमंत्री का बहुत बड़ा भक्त होता था। पिछले कई सालों में उसने मोदी जी की अंधभक्ति में कई ट्वीट किए हैं। वो रिटायर्ड अर्मी आफिसर वीडियो में रोते हुए कह रहा है कि प्रधानमंत्री जी मैंने नहीं सोचा था कि आप इस तरह से घोखा देंगे। आप हमारी पीठे में छुरा घोपेंगे और हमें हमारे हाल पर छोड़ देंगे। पूरा देश स्तब्ध है, प्रधानमंत्री मणिपुर पर न कुछ कर रहे हैं और न कुछ बोल रहे हैं- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सारे भाजपा वाले कह रहे हैं कि मोदी जी पहले प्रधानमंत्री हैं, जो पिछले 9 सालों में 50 बार नार्थ ईस्ट गए। हमारा कोई रिश्तेदार हमारे खुशी के मौके पर रोज जाए और मुसीबत पर मुंह मोड़ ले। तो असली दोस्त वही होता है, जो मुसीबत में काम आए। जब मणिपुर जल रहा था, लोग मर रहे थे, लोगों के घर जलाए जा रहे थे, तब प्रधानमंत्री अपने कमरे अंदर कुंडी मारकर बैठ गए। पूरा देश स्तब्ध है और पूछ रहा है कि प्रधानमंत्री की चुप्पी का कारण क्या है? प्रधानमंत्री मणिपुर को लेकर न कुछ कर रहे हैं और न कुछ बोल रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है, पिछले 9 सालों में जब भी देश के उपर आपदा आई, प्रधानमंत्री चुप हो गए, अपने कमरे में कुंडी मारकर बैठ गए और मैदान छोड़कर भाग गए। लोग चिल्लाते रहे, लेकिन प्रधानमंत्री कहीं दिखाई नहीं दिए।जब महिला पहलवानों ने कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष पर गलत हरकत करने का आरोप लगाया,तब भी पीएम चुप रहे।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि थोड़े दिन पहले हमारी महिला पहलवान जंतर-मंतर पर बैठी थीं। उनके आरोप थे कि उनके साथ कुश्ती फेरडेरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने गलत हरकतें की हैं। यही महिला पहलवान जब मेडल जीत कर आई थीं, तब प्रधानमंत्री ने सबसे पहले फोटो खिंचवाने पहुंच गए थे। मैंने वो वीडियो भी देखा है, जिसमें पीएम महिला पहलवानों से कह रहे हैं कि तुम मेरी बेटियों के समान हो, कल कोई दिक्कत हो तो मेरे पास आ जाना। जब महिला पहलवानों ने कहा कि पिताजी (प्रधानमंत्री) हमारे साथ बदसलूकी हो गई तो प्रधानमंत्री चुप्पी साध ली। प्रधानमंत्री अगर इतना ही कह देते कि बेटा चिंता मत करो, मैं हूं, जांच कराउंगा, दोषियों को सजा दिलवाउंगा तो लोगों को संतुष्टि मिल जाती। प्रधानमंत्री कम से कम मणिपुर में शांति की अपील ही कर देते लेकिन वो शांति की अपील तक नहीं करते हैं। महिला पहलवान तो प्रधानमंत्री के दो शब्द सुनने को बेताब थीं। लेकिन महिला पहलवानों को एक एफआईआर दर्ज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा दिल्ली के डेढ़ गुना इलाका चीन की सेना ने कब्जा कर लिया और प्रधानमंत्री चुप रहे।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 9 साल से चीन हमें आंख दिखा रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री चुप हैं और उनके मुंह से चीन का शब्द तक नहीं निकलता है। अक्टूबर 2019 में चीन के राष्ट्रपति भारत आए। महाबलेश्वर में हमारे प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति हाथ में हाथ मिलाकर महाबलिपुरम के मंदिर में घूम रहे थे और उसके फोटो लिए गए। इसके बाद 15 जून 2020 को चीन की फौज ने गलवान घाटी में हमला कर हमारे 20 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और 2 हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया। मतलब दिल्ली के डेढ़ गुना इलाका चीन की सेना ने कब्जा कर लिया, लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे। अफवाहें है कि चीन ने जो भारत के दो हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया है, उसको लेकर गुपचुप कोई डीलिंग हुई है और शायद इन्होंने चीन को वो इलाका दे दिया है। बीते फरवरी के महीने में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का सबसे शर्मनाक बयान आया। विदेश मंत्री ने कहा कि चीन की भारत से बड़ी अर्थव्यवस्था है। मैं क्या करूं? हमारे देश का विदेश मंत्री कहता है कि मैं क्या करूं। इसके विरोध में बहुत सारे अर्मी के रिटार्यर्ड अफसरों ने लिखा। जवाहर लाल नेहरू ने चीन की आंखों में आंखें डालकर युद्ध किया था, लेकिन इन्होंने तो चीन के सामने देश को सरेंडर कर दिया

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये लोग पानी पी-पीकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू को गालियां देते हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कम से कम चीन की आंखों में आंखें डालकर उनके साथ युद्ध तो किया था। इन्होंने तो चीन के सामने देश को सरेंडर कर दिया। चीन ने हमारे उपर हमला किया और हमारे दो हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया, बदले में इन्होंने चीन को इनाम दिया। 2018-19 में भारत का चीन के साथ व्यापार 87 बिलियन डालर था, इन्होंने उसे डेढ़ गुना बढ़ाकर 2022-23 में 114 बिलियन डालर कर दिया। देश के लोगों से पूछना चाहता हूं कि आपको बिजनेस करने वाला प्रधानमंत्री चाहिए या देश की रक्षा-सम्मान करने वाला प्रधानमंत्री चाहिए। हम चीन से इतना माल आयात करते हैं, हम ये माल आयात करना बंद कर देते। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि आंख दिखाने की हिम्मत तो दिखाओ। हाथ में हाथ डालकर घूमने से इश्क होता है, कूटनीति नहीं होती है। कूटनीति करने के लिए आंखें दिखानी पड़ती है।देश की जनता अडानी को लेकर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट की असलियत जानना चाहती है

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सीएम अरविंद केजरीवाल ने अडानी को लेकर कहा कि इसी जनवरी में हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट आई, जिसने पूरे देश और दुनिया मे हलचल मचा दी। पूरा बांबे स्टाक एक्सचेंज तहस नहस हो गया और लाखों निवेशकों, एलआईसी, बैंकों का पैसा डूब गया। यहां भी प्रधानमंत्री चुप रहे। एक बार बाहर आकर इतना ही कह देते कि मैं जांच कराउंगा और दोषियों को सजा दिलाउंगा। एक ट्वीट ही कर देते। इसलिए अब देश के लोगों को लगने लगा कि अडानी का सारा पैसा पीएम मोदी जी का ही है, मोदी जी चुप क्यों हैं? जनता असलियत जानना चाहती है। अगर प्रधानमंत्री चुप हो जाएंगे, तो अफवाहों का बाजार गर्म होता है। यह देश के लिए अच्छी बात नहीं है। पिछले 9 साल में चंद अमीर लोगों के 13 लाख करोड़ रुपए बैंकों के कर्जे माफ कर दिए गए। इन्होंने नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललीत मोदी, विजय माल्या को भगा दिया। इन्होंने मनीष सिसोदिया के खिलाफ नोटिस जारी किया, लेकिन इनके खिलाफ नहीं जारी किया और सभी एयरपोर्ट से भाग गए। नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललीत मोदी, विजय माल्या यूं ही नहीं भागे, इनको भगाए गए। देश जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री की इनसे क्या डील है? आरबीआई की रिपोर्ट आई है। जिसमें 16 हजार ऐसे विलफुल डिफाल्टर हैं, जिनके पास पैसा है लेकिन नहीं दे रहे हैं। प्रधानमंत्री इनको जेल में नहीं डालते हैं, इन पर सीबीआई-ईडी की रेड नहीं करवाते हैं।मोदी जी ने एक नेता पर 17 हजार करोड़ रुपए भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया और बाद में उसे अपनी पार्टी की सरकार में शामिल कर लिया।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खिरी में केंद्रीय मंत्री के बेटे ने किसानों पर जीप चढ़ा दी। इसका सबूत सबके सामने है, लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे। प्रधानमंत्री के लिए किसान भी कोई मायने नहीं रखते हैं। 14 सितंबर 2020 में हाथरस में 19 साल की एक दलित लड़की के साथ चार लड़कों ने गैंगरेप किया, प्रधानमंत्री चुप रहे। अभी नूंहू, मेवात और गुरुग्राम में सरेआम दो समुदायों के बीच हिंसा हुई, लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कुछ नेताओं का नाम लेकर कहा कि इन्होंने 17 हजार करोड़ रुपए का घोटाला कर दिया और तीन बाद प्रधानमंत्री ने उनको अपनी पार्टी की सरकार में शामिल कर लिया। सीएजी की रिपोर्ट आई है कि 18 करोड रुपए प्रति किमी में बनने वाली सड़क को 250 करोड़ रुपए प्रति किमी की लागत से बना दिया। इस पर भी प्रधानमंत्री चुप रहे। इसलिए अब पूरे देश में चर्चा हो रही है कि क्या मोदी जी एक कमजोर, अहंकारी और भ्रष्ट प्रधानमंत्री है? यह सदन प्रधानमंत्री से अपील करता है कि बाकी बातें बाद में हो जाएंगी, पहले मणिपुर संभाल लीजिए। मणिपुर पर कुछ तो कहिए।

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