प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाई को सरल और मज़ेदार बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण ये टीचिंग लर्निंग मटेरियल-शिक्षा मंत्री आतिशी

केजरीवाल सरकार दिल्ली में शिक्षा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए लगातार अनूठे प्रयास कर रही है। इस दिशा में दिल्ली सरकार के राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद(एससीईआरटी) द्वारा त्यागराज स्टेडियम में प्री-प्राइमरी और प्राइमरी कक्षाओं के लिए टीचिंग लर्निंग मटेरियल के दो दिवसीय स्टेट लेवल एक्ज़ीबिशन-प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। गुरुवार को शिक्षा मंत्री आतिशी और मेयर शेली ओबेरॉय ने इसका उद्घाटन किया, अलग-अलग स्टाल पर जाकर टीचिंग लर्निंग मटेरियल को देखा और उसके विषय में जाना साथ ही शिक्षकों को इस एक्ज़ीबिशन से अधिक से अधिक सीखकर उसे अपनी कक्षाओं में उपयोग करने के किए प्रोत्साहित किया।

एससीईआरटी दिल्ली द्वारा आयोजित इस एक्ज़ीबिशन में दिल्ली सरकार के स्कूलों, एमसीडी स्कूलों और दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के शिक्षकों ने बेहद उत्साह के साथ भाग लिया। इस एक्ज़ीबिशन में, पूरी दिल्ली के शिक्षकों ने प्रारंभिक वर्षों में छात्रों की बुनियादी शिक्षा को बेहतर और मज़बूत बनाने के उद्देश्य से सीखने के विभिन्न प्रकार के इनोवेटिव मॉडल का प्रदर्शन किया। इस राज्य स्तरीय एक्ज़ीबिशन में भाग लेने वाले प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए, शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, “सीखने के शुरुआती सालों में बच्चों की लर्निंग तब सबसे ज़्यादा और प्रभावशाली होती है जब वे मल्टीप्ल सेंसेज का इस्तेमाल करते है। ऐसे में बच्चों को किताबों के अतिरिक्त सीखने के लिए विभिन्न टीचिंग लर्निंग मटेरियल का इस्तेमाल करना ज़रूरी है, जिसमें खेलने के साधारण खिलौनों से लेकर गिनती और गणित सीखने के लिए विभिन्न जोड़-तोड़ वाले टीएलएम शामिल हो।

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शिक्षा मंत्री आतिशी ने शानदार टीचिंग लर्निंग मटेरियल तैयार करने वाले शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा बच्चों के लिए पढ़ते का सकारात्मक और अनुकूल वातावरण तैयार करने और क्लासरूम को ‘हैप्पी क्लासरूम’ बनाने की दिशा में इस एक्ज़ीबिशन में भाग लेने वाले शिक्षकों का उत्साह सराहनीय है।उन्होंने कहा कि, “अक्सर, हमारे आस-पास लोग बड़ी कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अधिक महत्व देते है, लेकिन प्राथमिक और पूर्व-प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भी व्यवस्था के लिए उतने ही अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि वे छात्रों की सीखने की क्षमताओं की नींव रखते हैं, उनके सीखने की बुनियाद को मज़बूत बनाते है। इस दिशा में आज का यह एक्ज़ीबिशन पूरी दिल्ली के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के प्रयासों का परिणाम है, जो अपनी कक्षाओं में इस देश के भविष्य को आकार दे रहे हैं।

शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि अगर हम विकसित देशों के इतिहास पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि इन देशों ने अपने हर बच्चे के लिए उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा में निवेश किया और बच्चों के मूलभूत कौशल को मजबूत करने के लिए सबसे शानदार प्राथमिक शिक्षा मुहैया करवाई। इस दिशा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में हम दिल्ली में भी बच्चों की वर्ल्ड-क्लास शिक्षा देने पर काम कर रहे है। आज दिल्ली सरकार और एमसीडी स्कूलों में लाखों बच्चे पढ़ रहे हैं; यहाँ सरकार संसाधन देने का काम के रही है लेकिन वो बच्चे कैसा सीखेंगे, उनका भविष्य कक्षाओं में उनके शिक्षकों द्वारा पढ़ने-पढ़ाने के क्रम में किए जा रहे अभिनव प्रयासों पर निर्भर करता है। और इन प्रयासों की बदौलत ही ये बच्चे भविष्य के कल्पना चावला, एपीजे अब्दुल कलाम या रवींद्रनाथ टैगोर बन सकते हैं।उन्होंने कहा, “प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के कंधों पर यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के मूलभूत कौशल को बढ़ाने और क्लासरूम टीचिंग को मनोरंजक बनाने के लिए अपनी क्लास में सीखने-सिखाने के इनोवेटिव और वर्ल्ड-क्लास प्रैक्टिसेज को शामिल करें। ऐसे में हमें अपने क्लासरूम के वातावरण की ऐसा बनाने की ज़रूरत है जो बच्चों को सीखने और आगे बढ़ने के लिए आकर्षित कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि, मुझे उम्मीद है कि इन दो दिनों में एक्ज़ीबिशन देखने आने वाले शिक्षक अपने छात्रों के लिए यहाँ से कई इनोवेटिव आइडियाज़ लेकर जाएँगे और उन्हें अपनी कक्षाओं में लागू करेंगे।

इस मौक़े पर मेयर शैली ओबरॉय ने कहा कि, दिल्ली के सभी स्कूलों के शिक्षकों और प्रिंसिपलों को इस प्रदर्शनी में आना चाहिए और देखना चाहिए कि कैसे-कैसे इनोवेटिव आइडियाज के साथ हम बच्चों को पढ़ा सकते है| हम कैसे नए-नए तरीकों से पढ़ाई के प्रति बच्चों की रूचि पैदा कर सकते है| उन्होंने कहा कि, दिल्ली के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के क्रम में हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को स्कूल में एक ऐसा वातावरण दे जिससे पढाई के प्रति उसकी रूचि बढे| स्कूल में हमें ये भी सुनिश्चित करने की जरुरत है कि बच्चों को सिर्फ किताब से पढाई न करवाई जाये बल्कि खेल-खेल में टीएलएम के साथ पढ़ाया जाये ताकि बच्चा कॉन्सेप्ट्स को रटने के बजाए सीखे|उन्होंने कहा कि, सामान्यतः बच्चों में गणित को लेकर डर होता है लेकिन इन टीचिंग लर्निंग मटेरियल के साथ बच्चों का डर तो ख़त्म होगा ही साथ ही उन्हें गणित सीखने में मजा भी आएगा| प्राथमिक कक्षाओं में तो इन टीचिंग लर्निंग मटेरियल की बदौलत एमसीडी स्कूलों में पढने वाले हमारे बच्चों की बुनियाद को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी|

प्रदर्शनी के दौरान, दिल्ली सरकार के स्कूलों और एमसीडी स्कूलों के शिक्षक बच्चों को कक्षाओं में प्रभावी ढंग से सिखाने के लिए विभिन्न अनूठे आइडियाज़ के साथ आए।सर्वोदय सह-शिक्षा बाल विद्यालय, प्रताप नगर के एक शिक्षक ने एक ‘मैजिक टेबल’ मॉडल बनाया जो बच्चों को गणित में टेबल्स को याद करने के बजाय जोड़ने के माध्यम से आसानी से सीखने में मदद कर सकता है।सर्वोदय कन्या विद्यालय, अवंतिका सेक्टर 1, रोहिणी के एक अन्य शिक्षक ने बच्चों को वर्णमाला रोल के साथ खेलते हुए अंग्रेजी शब्द बनाने का एक मॉडल बनाया।शिक्षकों द्वारा विभिन्न अन्य मॉडलों में अंग्रेजी, हिंदी, गणित, इतिहास, भूगोल आदि जैसे विभिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया और इसका उद्देश्य छात्रों के बीच विषयों के डर को खत्म करना था।उल्लेखनीय है कि एक्ज़ीबिशन में शिक्षकों द्वारा प्रदर्शित टीचिंग लर्निंग मटेरियल को जिला-स्तरीय प्रतियोगिता के माध्यम से दिल्ली भर के 15 जिलों में से प्रत्येक से चुना गया था।कार्यक्रम के दौरान शिक्षा सचिव अशोक कुमार, शिक्षा निदेशक (डीओई) हिमांशु गुप्ता, शिक्षा निदेशक एमसीडी विकास त्रिपाठी, एससीईआरटी दिल्ली की निदेशक डॉ. रीता शर्मा और प्रधान शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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