Nuh Violence- हेट क्राइम और हेट स्पीच पूरी तरह से अस्वीकार है-सुप्रीम कोर्ट

Nuh Violence-अवैस उस्मानी- हरियाणा के नूंह, गुरूग्राम मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊं भाषण के बयान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि DGP एक कमेटी का गठन करें, जो अलग-अलग इलाकों के SHO से प्राप्त हेट स्पीच की शिकायतों पर गौर करके, उनके कंटेंट की जांच करें और सम्बंधित पुलिस अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी करें। सुप्रीम कोर्ट में मामले में 18 अगस्त को अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेट क्राइम और हेट स्पीच पूरी तरह से अस्वीकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हों इसके लिए एक मैकेनिज्म बनाना जरूरी है, हमें इस समस्या का हल निकालना होगा….Nuh Violence
हरियाणा के नूंह, गुरूग्राम मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊं भाषण के बयान के मामले में मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी समुदायों को जिम्मेदार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हेट क्राइम और हेट स्पीच पूरी तरह से अस्वीकार है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐसी घटनाओं को रोकने का प्रस्ताव मांगा, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रैलियों आदि पर रोक लगाने का आदेश देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वह अपने पास उपलब्ध हेट स्पीच के मेटेरियल को तहसीन पूनावाला फैसले के मुताबिक नोडल अफसर को दे। नोडल अफसर कमेटी को इस तरह की शिकायतों के निवारण के लिए समय समय पर मिलना चाहिए।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस तरह की नफरत नहीं चल सकतीहै। एक समुदाय के खिलाफ इस तरह का जहर उगला जा रहा है, अदालत को लोगों की रक्षा करनी होगी। कई बार हेट स्पीच हुई है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इस तरह का भाषण नूंह जिले या अन्य जिलों में भी हुआ था। जवाब देते हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि  हां राज्य में कई जगह पर हुआ है। वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि समस्या यह हैं कि ऐसे भड़काऊं भाषण पुलिस की मौजूदगी में दिए जाते हैं। वकील निज़ाम पाशा ने कहा कि सभी राज्यों को पक्षकार बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SHO स्तर और पुलिस स्तर पर, पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरत है। अगर आप इससे सहमत हैं तो हम कुछ आदेश पारित कर सकते हैं। ASG नटराज ने कहा कि मुझे बस एक बार एप्लिकेशन देखने दीजिए। हम एक पल के लिए भी नफरत फैलाने वाले भाषण का समर्थन नहीं करते हैं। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए। एक तंत्र है और कुछ जगहों पर यह काम नहीं कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी आदि पर निर्देश पहले से ही हैं और इस बीच जिसके पास भी कोई वीडियो आदि है उसे संबंधित अधिकारी को भेजा जा सकता है। एक बार समिति को पता चल जाए कि कानून का उल्लंघन हुआ है और कुछ एफआईआर दर्ज करें। तब पुलिस द्वारा जानबूझकर की गई चूक पर भी गौर किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है। बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।

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